50 फीसदी ग्रामीण आबादी शौचालय से महरूम
बिहार में 80 फीसदी आबादी गांवों में बसती है लेकिन 30 फीसदी से भी कम आबादी में शौचालय की सुविधा है.
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बाकी 50 फीसदी ग्रामीण आबादी शौच सुविधा के लिए खुले मैदानों का इस्तेमाल करती है और बरसात में यह सुविधा भी उनसे छिन जाती है क्योंकि प्रदेश का एक बड़ा हिस्सा बाढ़ की चपेट में आ जाता है.
बिहार के ग्रामीण इलाकों में आज भी 81 लाख 27 हजार 388 परिवार शौचालय सुविधा से वंचित हैं.
बिहार राज्य लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिक विभाग से से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक बिहार में कुल एक करोड़, 11 लाख 71 हजार 314 परिवारों को शौचालय उपलब्ध कराया जाना था जिसमें से 61,95,779 गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) एवं 49, 75, 535 गरीबी रेखा से ऊपर के (एपीएल) परिवार शामिल हैं तथा उनमें से मात्र 30 लाख 43 हजार 926 परिवारों को ही अब तक शौचालय उपलब्ध कराया जा सका है.
विभागीय सूत्रों के मुताबिक प्रदेश में 2362 सामुदायिक शौचालय का निर्माण किया जाना था जिसमें अभी तक मात्र 650 का निर्माण किया जा सका है.
इसी प्रकार से बिहार के स्कूलों और आंगनबाडी केंद्रों में स्वीकृत 76581 एवं 6595 शौचालयों में से क्रमश: 52113 तथा 1371 शौचालयों का ही निर्माण किया जा सका है.
ग्रामीण इलाकों में शौचालय की कमी के कारण सबसे अधिक कठिनाई महिलाओं, बच्चों तथा बुजुर्गों को होती है जिसकी वजह से उन्हें खुले में शौच के लिए जाना पडता है और इससे भू-गर्भीय जल में अशुद्धि एवं वातावरण में प्रदूषण फैलता है.
राज्य के कुल 94.16 लाख हेक्टयर भूभाग में से 68.8 लाख हेक्टयर ऐसा इलाका है जहां प्रत्येक वर्ष बाढ़ की आशंका बनी रहती है. ऐसे में ग्रामीणों को खुले में शौच की सुविधा से भी वंचित होना पड़ता है .
बिहार राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन से प्राप्त जानकारी के मुताबिक अक्तूबर 2005 तक बिहार में कुल एक लाख सात हजार 179 बीपीएल परिवारों, 400 एपीएल परिवारों के पास ही निजी शौचालय उपलब्ध थे जबकि सामुदायिक शौचालयों की संख्या 353 और विद्यालय शौचालय की संख्या 874 थी.
भारत सरकार द्वारा प्रायोजित संपूर्ण स्वच्छता अभियान के तहत केवल बीपीएल परिवारों के लिए पहले से ही 2500 रूपये की लागत से शौचालय निर्माण की योजना चलायी जा रही थी जिसे अब बढाकर 3200 रूपये कर दिया गया है.
शौचालय निर्माण के लिए निर्धारित 3200 रूपये की राशि में से केंद्र द्वारा प्रोत्साहन राशि के तौर पर 2200 रूपये जबकि राज्य सरकार की ओर से एक हजार रूपये दिए जाने का निर्णय लिया गया है तथा शेष 300 रूपये की राशि लाभार्थी के द्वारा स्वयं वहन की जाती है.
बिहार की नीतीश सरकार ने प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में शौचालय निर्माण को गति देने के लिए 2007 में लोहिया स्वच्छता योजना कार्यक्रम की शुरुआत की थी और वर्ष 2015 तक सभी घरों में शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया है.
राज्य सरकार लोहिया स्वच्छता योजना के तहत प्रदेश के गरीबी रेखा से ऊपर के परिवार (एपीएल) के लिए भी 3200 रूपये की लागत वाले शौचालय के निर्माण के वास्ते 2000 रूपये प्रोत्साहन राशि के तौर पर दे रही है.
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