बसपा ने छोड़ा ब्राह्मणों का साथ, सतीश मिश्रा को भी किया किनारे

Last Updated 22 Dec 2022 12:24:08 PM IST

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सांसद सतीश चंद्र मिश्रा को राजनीतिक परिदृश्य से गायब हुए छह महीने से अधिक का समय हो गया है।


बसपा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा (फाइल फोटो)

शुरू में कहा गया कि वह खराब स्वास्थ्य के कारण पार्टी के मामलों में सक्रिय नहीं थे, लेकिन अब ऐसा लगता है कि उन्हें किनारे कर दिया गया है। बहुजन समाज पार्टी अब उच्च जातियों, मुख्य रूप से ब्राह्मणों पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहती है। बसपा दलितों, ओबीसी और मुसलमानों का गठजोड़ बनाने के प्रयास में है और इसके लिए मिश्रा की आवश्यकता नहीं है।

मायावती पहले ही पूर्व कैबिनेट मंत्री नकुल दुबे और एक अन्य ब्राह्मण नेता अनिल पांडे को पार्टी से बर्खास्त कर चुकी हैं।

दुबे कांग्रेस में शामिल हो गए और अब पार्टी के जोनल अध्यक्ष हैं। गौरतलब है कि नकुल दुबे को एस.सी. मिश्रा का आश्रित कहा जाता था।

पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार मायावती को फीडबैक मिला था कि पार्टी के दलित कार्यकर्ता पार्टी में सतीश चंद्र मिश्रा की प्रभावशाली उपस्थिति और निर्णय लेने में उनकी भूमिका से नाराज हैं।

पदाधिकारी ने कहा, दलित ऊंची जाति के व्यक्ति द्वारा आदेश दिए जाने से परेशान थे। बहनजी (मायावती) ने अब मिश्रा की भूमिका को पार्टी में कानूनी मुद्दों तक सीमित कर दिया है।

इस साल की शुरुआत में आजमगढ़ और रामपुर उपचुनावों के लिए बसपा के स्टार प्रचारकों की सूची में मिश्रा का नाम महत्वपूर्ण रूप से शामिल नहीं था।

मिश्रा 2007 में पार्टी में शीर्ष पर पहुंचे, जब बसपा ने उनके नेतृत्व में ब्राह्मण कार्ड खेला और मायावती ने पूर्ण बहुमत के साथ अपनी पहली सरकार बनाई।

हालांकि इसके बाद बसपा का ग्राफ नीचे की ओर रहा है और मोदी युग शुरू होने पर ब्राह्मणों ने भाजपा के लिए बसपा को छोड़ दिया।

पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में मात्र एक सीट जीतने मे सफल रही।

आईएएनएस
लखनऊ


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