आस्ट्रेलिया में भारतीयों पर हो रहे हमलों स
Last Updated 15 Jan 2010 10:40:05 PM IST
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नयी दिल्ली। आस्ट्रेलिया में भारतीयों के खिलाफ जारी हमलों के मद्देनजर विपक्षी दलों के आक्रामक रुख को देखते हुए केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि वह आस्ट्रेलिया में हो रही घटनाओं पर बराबर निगाह रखे हुए है और भारत की चिंता और नाखुशी से आस्ट्रेलियाई सरकार को अवगत कराया जा रहा है।
विदेश राज्यमंत्री परनीत कौर ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा, "आस्ट्रेलिया में हमारे नागारिकों के साथ जो हो रहा है उसके खिलाफ हम उच्च स्तर पर अपनी चिंता और नाखुशी जता रहे हैं।"
पत्रकारों ने जब उनसे पूछा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर लगातार आरोप लगा रही है कि केंद्र सरकार इस मामले में कुछ नहीं कर रही है तो इसके जवाब में उन्होंने कहा, "हम रोजाना वहां की स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं। यह दुखद है कि आज भी एक टैक्सी चालक भारतीय नागरिक पर हमला हुआ है।"
उन्होंने कहा कि मेलबर्न में एक गुरुद्वारे में लगाई गई आग की घटना और भी दुखद है। हम सिर्फ यही उम्मीद कर सकते हैं कि आस्ट्रेलिया जैसा हमें बता रहा है, वह वैसी ही कार्रवाई भी करे। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।
उधर आस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त पीटर वर्गीज ने आज कहा कि भारतीयों पर हमला करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए उनके देश की सरकार प्रतिबद्ध है। साथ ही उन्होंने कहा कि हिंसा के पीछे के उद्देश्यों के बारे में जल्दबाजी में कोई निष्कर्ष निकालना भी ठीक नहीं है।
वर्गीज ने एक बयान में कहा, "केवल विक्टोरिया में भारतीयों से जुड़े मामले में 34 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।"
उन्होंने कहा, "कुछ मामलों के बारे में अदालतों ने फैसला ले लिया है, इससे कड़ी सजा की संभावना प्रबल हुई है। उदाहरण के लिए भारतीय मूल के डॉक्टर मुकेश हैकरवाल पर हमला करने के लिए तीन लोगों को दोषी पाया गया है और इन्हें साढ़े आठ वर्ष, साढ़े सोलह वर्ष और नौ वर्ष के कारावास की सजा सुनाई गई है।"
पिछले कुछ महीनों के दौरान आस्ट्रेलिया में भारतीय मूल के लोगों पर कई हमले हुए हैं। इनमें दो भारतीय युवकों की मौत भी हो गई। इसको देखते हुए भारत सरकार को अपने नागरिकों के लिए दिशानिर्देश जारी करना पड़ा।
वर्गीज ने इन मामलों में जारी पुलिस जांच की जरूरत पर जोर देते हुए कहा, "यह महत्वपूर्ण है कि जल्दबाजी में किसी निर्णय पर नहीं पहुंचा जाए न ही प्रारंभिक मीडिया रिपोर्टों को साक्ष्य के रूप में लिया जाए।"
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