महीने भर से जिंदा है बाघ के पिंजरे में बकरा
रूस के सफारी पार्क में बाघ और बकरे की एक ऐसी कहानी देखी गई जिसे देख दुनिया दंग रह गई.
बाघ के पिंजरे में बकरा (फाइल फोटो) |
ये कहानी है अमोर (बाघ) और तिमोर (बकरे) की है. तिमोर बकरे को अमोर बाघ के पास उसका भोजन बनने के लिए भेजा गया था. तीन साल से सफारी पार्क में रह रहे बाघ को हफ्ते में दो दिन खाने में जिंदा बकरा, भेड़ और खरगोश दिया जाता है. उसे हर बार की तरह इस बार भी जिंदा बकरा दिया गया था. लेकिन थोड़ी देर बाद देखा गया तो बाघ के बाड़े में बकरा जिंदा था.
बाघ अगले चार दिन तक भूखा रहा लेकिन उसने उस बकरे को अपना शिकार नहीं बनाया. बल्कि दोनों साथ रहने, खेलने और सोने लगे.धीरे-धीरे एक महीने से ऊपर हो चला था.
तिमोर (बकरा) का अपना शेल्टर है लेकिन रात को वह बाघ के बगल में सोता है और जब कभी बकरा वहां से चला जाता है. बाघ गरज कर उसे वापस बुला लेता है. बकरे के वापस आने के बाद ही बाघ शांत होता है.
ऐसा नहीं कि बाघ के लिए बकरे को मारना कोई समस्या है बल्कि वह चाहे तो एक पल में बकरे को चट कर जाए. लेकिन न जाने यह ये दोस्ती है या आपसी तालमेल जो दोनों को एक-दूसरे से जोड़े हुए है. बकरे ने अपनी बहादुरी दिखाई तो बाघ ने कहा, ‘ओके, मैं तुम्हारी हिम्मत की दाद देता हूं, तुम्हारी इज्जत करता हूं. चलो दोस्ती कर लें.
पार्क प्रशासन सप्ताह में दो दिन बाघों को जिंदा शिकार उपलब्ध कराता है और बाघ से दोस्ती गांठने वाली इस बकरी को भी बाघ का भोजन बनने के लिए भेजा गया था. आमूर को बकरियों और खरगोशों का शिकार करना अच्छी तरह आता है. पार्क के कर्मचारी लेकिन उस वक्त चौंक गये, जब उन्होंने देखा कि शिकार बनने वाली बकरी अपने संभावित शिकार से बिल्कुल भयभीत नहीं है.
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