अब 'प्लास्टिक तालाब' से होगी खेतों में सिंचाई

Last Updated 15 Nov 2014 07:03:31 PM IST

रतलाम के एक गांव में \'प्लास्टिक तालाब\' साकार रूप ले चुका है, इससे किसान 10-12 वर्षों तक गर्मी के दिनों में खेती कर सकेंगे.


'प्लास्टिक तालाब' से खेतों में सिंचाई

खेती में नई-नई तकनीक के साथ किसान प्राकृतिक प्रकोप से निपटने की दिशा में भी कदम उठा रहे हैं, जिले के ग्राम तितरी में दो साल के अथक प्रयासों के बाद यह संभव हो सका है. 

बीते कुछ वर्षों से प्रकृति की मार से किसानों के हाल-बेहाल हो रहे हैं, कम वर्षा के कारण कई किसान गर्मी में खेती नहीं कर पा रहे हैं. 
 
इससे निपटने के लिए तितरी के युवा किसान जितेंद्र पाटीदार ने एक हेक्टेयर (पांच बीघा) निजी भूमि पर प्लास्टिक तालाब का निर्माण किया है. 
 
दो वर्ष पहले उक्त तालाब की नींव रखी थी, जो अब साकार रूप ले चुकी है. 
 
तालाब के निर्माण से गर्मी के दिनों में खेती आसानी से की जा सकेगी, यह तालाब खेती के लिए वरदान साबित होगा.
 
इस तालाब में ग्रीष्म ऋतु के लिए वर्षा जल के साथ-साथ अन्य स्रोतों से जल संग्रहीत कर रखा जाएगा, तालाब में 2 करोड़ 31 लाख लीटर पानी संग्रहीत होगा. 
 
इसमें 8 से 10 फीसद पानी के वाष्पीकरण होने की संभावना है, शेष पानी खेती में उपयोग किया जाएगा, प्लास्टिक तालाब का जीवन 10 से 12 साल रहता है.  
 
एक हेक्टेयर के तालाब से 40 से 50 बीघा क्षेत्र में गर्मी के 100 दिनों में ड्रिप इरिगेशन के माध्यम से सिंचाई के लिए जल उपलब्ध रहेगा, छोटे स्तर पर खेती करने वाले किसान भी छोटा प्लास्टिक तालाब बनाकर लाभ ले सकते हैं.
 
सरकार खेती को बढ़ावा देने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, लेकिन पानी की समस्या के कारण कई किसान इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं. 
 
 
 
 



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