यहां मन्नत पूरी होने पर सांप का जोड़ा छोड़ने की परंपरा

Last Updated 30 Aug 2014 04:21:23 PM IST

मन्नत पूरी होने पर आपने भगवान के दर्शन और पूजा-पाठ किए होंगे, दान किए होंगे, चढ़ावा भी चढ़ाया होगा. पर क्या कभी सांप के जोड़े को मुक्त किया है?


(फाइल फोटो)

मध्यप्रदेश के बुरहानपुर में ऐसी ही अनोखी परंपरा है. मनोकामना पूर्ति पर यहां सर्प का जोड़ा छोड़ने की प्राचीन परंपरा आज भी है.

हर वर्ष पंचमी पर लगने वाले वार्षिक मेले में सांप के सैकड़ों जोड़ों को सपेरों से खरीदकर बंधन मुक्त कराया जाता है. तीस अगस्त को उतावली नदी के तट पर प्राचीन नाग मंदिर 'अडवाल' पर लगने वाले मेले में आज भी सांपों के जोड़ों को समीप के जंगल में छोड़ा जाता है.

मंदिर के पुजारी अनिल चौधरी के अनुसार अनूठे मेले में देशभर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं.

एक दिवसीय मेले में दोपहर में कलश ढलता है और शेष रह गये सिर्फ 3 नाग मंत्री समीप स्थित उतावली नदी से 7 बार जल लाकर 'अडवाल' का जलाभिषेक करते हैं.

जिले में अब नाग मंत्री बनने की परंपरा खत्म हो गई है.

पुराने नाग मंत्रियों चुन्नीलाल भावसार, शांतिलाल भावसार और शिवनारायण भावसार का कहना है कि नाग मंत्री बनने की प्रक्रिया बड़ी कठिन होने और कड़े नियमों का जीवनभर पालन करने के कारण नई युवा पीढ़ी में कोई नाग मंत्री बनने को तैयार नहीं है. इस कारण गत दशक में नाग मंत्रियों की संख्या 20 से घटकर तीन चार ही रह गई है.

नाग मंत्री सर्प दंश से पीड़ितों का उपचार कर अपनी विद्या से उनका विष भी उतारते हैं.



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