भारतीय रेल बजट : डेढ़ सौ साल से अधिक तक का सफर
रेल मंत्री सुरेश प्रभु गुरुवार को लोकसभा में रेल बजट पेश करेंगे. देश में लोगों की निगाह बजट पर टिकी हुई है.
(फाइल फोटो) |
एक कैबिनेट और दो राज्य मंत्रियों को मिलाकर रेलवे के पास कुल तीन मंत्री हैं. भारतीय रेल का शीर्ष निकाय रेलवे बोर्ड , रेल मंत्रालय के आधीन आता है. रेलवे बोर्ड, एक अध्यक्ष और कई रेलवे बोर्ड के सदस्य द्वारा गठित होता है.
प्रत्येक वर्ष रेल मंत्री, देश के आम बजट से अलग, रेल बजट पेश करते हैं. इस प्रथा की शुरुआत 1924 में हुई थी जिस समय देश के कुल बजट का 70 फीसद रेल बजट होता था. 1924 में तत्कालीन रेलवे कमेटी के चैयरमैन सर विलियम एम एक्वर्थ ने अलग से रेल बजट पेश किया.
इस प्रकार रेल बजट को आम बजट से अलग कर बजट की प्रत्येक प्राथमिकताओं पर समुचित ध्यान दिया जा सकता था. आज रेल बजट भारत के राष्ट्रीय बजट का लगभग 15फीसद है. रेल बजट के माध्यम से नई रेल सेवाओं, किरायों और शुल्कों में परिवर्तन आदि की घोषणा की जाती है.
भारतीय रेल की शुरुआत 1853 में मुंबई और थाणे के बीच ट्रेन चलाकर हुई. तब से लेकर आज तक रेल आम भारतीय जनजीवन का केन्द्र बिन्दु रहा है. हालांकि इसकी शुरुआत अंग्रेजों ने अपने शासन व्यवस्था को आसान बनाने के लिए किया था. अंग्रेजों ने इस बात को ध्यान में रखते हुए देशभर में रेल नेटवर्क जोड़ने का काम किया. आगे चलकर यह सिर्फ यातायात का माध्यम नहीं बनकर देश के विभिन्न प्रांतों को जोड़ने का काम किया. भाषायी और सांस्कृतिक विविधता वाले देश में कोई एक ऐसे साधन की जरूरत थी जो पूरे देश को जोड़ सके. इस काम को भारतीय रेलवे ने बखूबी किया.
भारत का रेलवे विश्व का सबसे दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क है. 1947 तक अंग्रेजों ने 53,596 किलोमीटर का रेल नेटवर्क बिछाया, लेकिन आजादी के 63 साल बीत जाने के बाद इसमें मात्र 21 फीसदी की वृद्धि हुई.
यात्रियों का सफर की बात छोड़ भी दिया जाये तो सस्ता होने के बावजूद माल ढुलाई में रेल सड़क मार्ग से पीछे है, क्योंकि भारी ट्रैफिक के बोझ से इसकी गति धीमी है. रेलवे के माली हालत को सुधार करने के लिए जाने-माने अर्थशास्त्री विवेक देवरॉय की अध्यक्षता में एक कमेटी भी बनायी गयी.
कमेटी ने अपने सुझाव में कहा कि रेलवे बड़े पैमाने पर निवेश की कमी से जूझ रही है. कमेटी की रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि रेलवे को स्वायत्तता मिलनी चाहिए और सरकार की भूमिका सिर्फ नीति बनाने तक सीमित रहनी चाहिए. समिति ने अपनी सिफारिश में कहा है कि भारतीय रेल की पूरी ओवरहालिंग (मरम्मत) सात साल में कर दी जानी चाहिए.
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