मनरेगा के लिए आवंटन 3,800 करोड़ रुपये बढ़ा

Last Updated 29 Feb 2016 01:34:19 PM IST

कभी मनरेगा के प्रभाव पर सवाल उठाने वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने वित्त वर्ष 2016-17 में इस योजना के लिए आवंटन 3,800 करोड़ रुपये बढ़ाने का प्रस्ताव किया है.


(फाइल फोटो)

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को संसद में पेश केंद्रीय बजट में ग्रामीण विकास की रूपरेखा पेश की.

जेटली ने लोकसभा में अपने बजट भाषण में कहा, ‘2016-17 में मनरेगा के लिए 38,500 करोड़ रपये का आवंटन किया गया है. यदि पूरी राशि खर्च हो जाती है तो यह मनरेगा में अब तक सबसे बड़ा बजट खर्च होगा.’

सरकार ने इससे पिछले वित्त वर्ष के बजट में मनरेगा के लिए 34,699 करोड़ रपये का बजटीय प्रावधान किया था. इसके अलावा सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा इस कोष के वास्तविक इस्तेमाल के आधार पर 5,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त उपलब्ध कराने का वादा किया था.

सरकार को अपने वादे की याद दिलाते हुए ग्रामीण विकास मंत्री बीरेंद्र सिंह ने जेटली को पिछले साल 30 दिसंबर को पत्र लिखकर यदि योजना में वादे के अनुरूप 5,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं तो इस वित्त वर्ष में इसमें 5,000 करोड़ रुपये की कमी होगी.

मनरेगा के लिए 2014-15 में आरंभिक बजटीय आवंटन 34,000 करोड़ रुपये था. संशोधित बजट में इसे घटाकर 31,000 करोड़ रुपये कर दिया गया.

इस साल दो फरवरी को मनरेगा कार्यक्र म के 10 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में राजग सरकार ने कहा था कि उसने संप्रग की इस योजना को रिकार्ड धन उपलब्ध करा कर इसको नया रूप दिया है. उस समय कांग्रेस के उपाध्यक्ष्य राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर व्यंग्य किया था कि अब उनकी सरकार की ओर से मनरेगा की तारीफ करना उसकी राजनीतिक समझ का एक उदाहरण है क्यों कि उन्होंंने इस योजना को कांग्रेस की विफलता का एक जीता जागता उदाहरण बताया था.

बीमा, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में एफडीआई नीति को उदार बनाने का प्रस्ताव

वित्त मंत्री अरूण जेटली ने बीमा, पेंशन तथा संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों समेत कई क्षेत्रों के लिये एफडीआई नीति को उदार बनाने का प्रस्ताव किया. इसका मकसद और विदेशी निवेश आकर्षित करना है.

जेटली ने 2016-17 के अपने बजट भाषण में कहा, ‘मैं एफडीआई नीति में और सुधार की घोषणा करना चाहूंगा. बीमा और पेंशन, संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों, शेयर बाजार आदि क्षेत्रों में बदलाव का प्रस्ताव है.’

उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति को किसानों तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की जरूरतों को पूरा करना है क्योंकि किसानों द्वारा उत्पादित काफी मात्रा में फलों एवं सब्जियों को या तो उचित मूल्य नहीं मिल पाता है या फिर वे बाजार में नहीं पहुंचते.

जेटली ने कहा, ‘खाद्य प्रसंस्करण उद्योग तथा व्यापार को ज्यादा कुशल होने चाहिए. देश में उत्पादित एवं विनिर्मित खाद्य वस्तुओं के विपणन में एफआईपीबी रास्ते से 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति होगी.’

उन्होंने उम्मीद जतायी कि इससे खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय को क्षेत्र को गति देने में मदद मिलेगी.

जेटली ने कहा, ‘इससे किसानों को लाभ होगा, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को गति मिलेगी और बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर सृजित होंगे.’ सरकार रक्षा, रेलवे, चिकित्सा उपकरण तथा नागर विमान पहले ही एक दर्जन से अधिक क्षेत्रों में एफडीआई नीति को उदार बना चुकी है.

देश में एफडीआई चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-दिसंबर के दौरान 40 प्रतिशत बढ़कर 29.44 अरब डालर रहा.



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