पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित प्रख्यात न्यायविद् फाली नरीमन का निधन
प्रख्यात संवैधानिक न्यायविद् और वरिष्ठ अधिवक्ता फाली एस. नरीमन (Fali S Nariman) का बुधवार को दिल्ली में निधन हो गया। वह 95 वर्ष के थे।
![]() प्रख्यात संवैधानिक न्यायविद् और वरिष्ठ अधिवक्ता फाली एस. नरीमन |
नरीमन ने प्रसिद्ध राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) फैसले सहित कई ऐतिहासिक मामलों पर बहस की। वह महत्वपूर्ण एससी एओआर एसोसिएशन मामले (जिसके कारण कॉलेजियम प्रणाली का जन्म हुआ), टीएमए पाई मामला (अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक अधिकारों के दायरे पर) और कई अन्य मामलों में पेश हुए।
अनुभवी वकील को नवंबर 1950 में बॉम्बे हाई कोर्ट के वकील के रूप में नामांकित किया गया था। उन्होंने 70 से अधिक वर्षों तक प्रैक्टिस की। बॉम्बे हाई कोर्ट से शुरुआत की और बाद में सुप्रीम कोर्ट में चले गए।
नरीमन का जन्म रंगून (अब यांगून) में एक संपन्न कारोबारी परिवार में हुआ था। वर्ष 1942 में जापान की ओर से आक्रमण किये जाने के बाद उनका परिवार भारत आ गया। उस समय नरीमन 12 साल के थे।
उन्होंने 70 वर्षों से अधिक समय तक वकालत की। शुरुआत बंबई उच्च न्यायालय से हुई और फिर 1972 से उच्चतम न्यायालय में उन्होंने लंबा सफर तय किया।
नरीमन को मई 1972 में भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने 26 जून 1975 को आपातकाल लागू होने के एक दिन बाद पद से इस्तीफा दे दिया था।
अपने लंबे और शानदार कानूनी करियर में नरीमन ने कई ऐतिहासिक मामलों में पैरवी की। इनमें भोपाल गैस त्रासदी, ‘टीएमए पाई फाउंडेशन’ और जयललिता का आय से अधिक संपत्ति जैसे मामले भी शामिल हैं। इसके अलावा वह राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के चर्चित मामले से भी जुड़े रहे। इस आयोग को उच्चतम न्यायालय ने भंग कर दिया था।
नरीमन ने लिखी थीं ये किताबें
भारतीय न्यायपालिक के ‘भीष्म पितामह’ कहे जाने वाले नरीमन ने ‘बिफोर द मेमोरी फेड्स’, ‘द स्टेट ऑफ द नेशन’, ‘इंडियाज लीगल सिस्टम: कैन इट बी सेव्ड?’ और ‘गॉड सेव द ऑनर्बेल सुप्रीम कोर्ट’ जैसी किताबें भी लिखीं।
1991 में पद्म भूषण और 2007 में पद्म विभूषण से सम्मानित
नरीमन को जनवरी 1991 में पद्म भूषण और 2007 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
नवंबर 1999 में उन्हें राज्यसभा के सदस्य के रूप में भी मनोनित किया गया था।
► उनके निधन की खबर पर वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘ फली नरीमन का निधन एक युग का अंत है। एक दिग्गज, जो कानून और सार्वजनिक जीवन में हमेशा लोगों के दिलों-दिमाग में जीवित रहेंगे। अपनी सभी उपलब्धियों के अलावा, वह अपने सिद्धांतों पर अटल रहे और बिना लाग लपेट हर बात कहते थे। यही गुण उनके प्रतिभाशाली बेटे रोहिंटन में भी है।’’
► सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उनके निधन से ना सिर्फ कानून जगत ने बल्कि देश ने एक ऐसी विशाल शख्सियत को खो दिया है, जिसकी बुद्धिमत्ता का हर कोई लोहा मानता था।
उन्होंने कहा, ‘‘देश ने धार्मिकता के एक प्रतीक को खो दिया। एक अग्रणी, आदर्श और एक दिग्गज हमें छोड़कर चले गये। उन्होंने न्यायशास्त्र को अपने अहम योगदान से समृद्ध किया है। मैंने अदालत में उनके खिलाफ जिरह करके भी कुछ नया सीखा।’’
► कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने ‘एक्स’ पर पोस्ट में कहा, ‘‘बेहद दुखद समाचार। प्रख्यात न्यायविद् फली एस नरीमन का निधन। उन्हें वकील समुदाय का ‘भीष्म पितामह’ भी माना जाता था। वह एक महान अधिवक्ता और हमारे परिवार के करीबी दोस्त थे। उनका निधन हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है।’’
नरीमन के बेटे रोहिंटन नरीमन उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश रहे।
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