Parliament: अविश्वास प्रस्ताव पर तुरंत चर्चा की मांग को लेकर हंगामा, लोकसभा दोपहर 12 बजे तक स्थगित

Last Updated 28 Jul 2023 11:27:39 AM IST

मणिपुर हिंसा मामले पर विपक्षी दल पीएम नरेंद्र मोदी के बयान की मांग पर अड़े हुए हैं। लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही विपक्ष के सांसदों ने नारेबाजी और हंगामे के बाद कार्यवाही को दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित हो गई।


शुक्रवार को 11 बजे लोक सभा की कार्यवाही शुरू होते ही सदन में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने अतीत की परंपरा का हवाला देते हुए अविश्वास प्रस्ताव पर तुरंत चर्चा कराने की मांग की।

विपक्षी सांसद मणिपुर को लेकर भी नारे लगाने लगे।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सदन नियम कानून से चलता है। उन्होंने ( चौधरी ) जो कहा है उस पर वे अपनी व्यवस्था देंगे लेकिन प्रश्नकाल चलने दें।

सरकार की तरफ से केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि "नियमों के अनुसार अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए 10 दिन का समय है, आप ( स्पीकर ) जब भी तय करेंगे, हम (सरकार ) चर्चा के लिए तैयार हैं।"

उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि अगर विपक्ष को लगता है कि उनके पास बहुमत है तो हमारा बिल गिरा दें, निरस्त कर दें।

हंगामे के बीच बिरला ने सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

अविश्वास प्रस्ताव के कारण विधायी कार्य नहीं रोके जा सकते : प्रल्हाद जोशी

अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस स्वीकृत होने के बावजूद बिल पेश करने और पारित करवाने के विपक्षी दलों के आरोपों पर पलटवार करते हुए केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा है कि उनके द्वारा अचानक अविश्वास प्रस्ताव लाने के कारण सरकारी बिजनेस ( विधायी कार्य) नहीं रोके जा सकते और जहां तक बिल की बात है अगर विपक्ष के पास बहुमत है तो बिल परास्त कर दें, गिरा दें तो अविश्वास प्रस्ताव की जरूरत ही नहीं पड़ेगी, सरकार उसी दिन गिर जाएगी।

उन्होंने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर समय सीमा के अंदर चर्चा होगी और सरकार की तरफ से जवाब भी दिया जाएगा। हमारे पास बहुमत है, संख्या है।

विपक्षी नेताओं के मणिपुर जाने के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए जोशी ने कहा कि वहां की राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन इसे देखेगा कि इन्हें कहां लेकर जाना है, कैसी व्यवस्था करनी है, यह हमारा ( केंद्र सरकार) काम नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि वे ग्राउंड रिपोर्ट की बात कर रहे हैं जबकि अगर सदन में चर्चा होने देते तो हम सारी रिपोर्ट रखते, दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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