Aurangzeb के साथ Godse और Apte को जिंदा करने की कोशिश क्यों?

Last Updated 09 Jun 2023 04:56:45 PM IST

महाराष्ट्र में औरंगजेब के समर्थन में नारे की घटना को सही नहीं ठहराया जा सकता है, लेकिन इस घटना के बाद जो राजनीति हो रही है, उसे भी जायज नहीं कह सकते हैं। इस नारे की आड़ में बड़े-बड़े लोगों ने रोटियां सेंकनी शुरू कर दी हैं।


इस घटना के खिलाफ बयान आना अपेक्षित था, लेकिन ब्यान आया भी तो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का। उन्होंने इस घटना की निंदा करने के लिए जिन शब्दों और जिन तरीकों का इस्तेमाल किया वो शायद उनके पद के हिसाब से सही नहीं था। संभव है कि उनके ब्यान से एक समुदाय के बहुत से लोग नाराज हुए होंगे। लेकिन हमेशा की तरह इस बार भी फ्रंट आए, एआईएमआईएके अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी। आलम यह है कि इस समय देश या महाराष्ट्र राज्य के जरुरी मुद्दों को छोड़कर एक बार फिर महाराष्ट्र में औरंगजेब पर चर्चा हो रही है। जिस औरंगजेब ने कभी हिंदुओं के साथ अत्याचार किया था,सिखों के गुरु तेगबहादुर की ह्त्या करवा दी थी, उसे पुनः जीवित करने वाले जितने दोषी हैं, शायद उतने ही दोषी वो लोग भी हो सकते हैं जो उसका बार-बार उसका नाम ले रहे हैं।

महाराष्ट्र के अहमद नगर के फकीरवाड़ा इलाके में हुई यह नारेबाजी एक संदल उरुस के दौरान हुई थी। उस दौरान कुछ युवक औरंगजेब की तस्वीर लेकर नाचते हुए देखे गए थे। उनके नाचते हुए वीडियो भी वाइरल हुए थे। इन्ही वीडियो को देखकर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बयान दे दिया था कि अब महारष्ट्र में औरंगजेब की संतानें पैदा हो गई हैं। देवेंद्र फडणवीस के उस ब्यान को ओवैसी ने लपक लिया था। उन्होंने भी बिना सोचे समझे कह दिया कि फडणवीस बताएं कि गोडसे और नारायण आप्टे की संतानें कौन हैं। औरंगजेब ने हिन्दुओं के साथ बहुत अन्याय किया था। उसने मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बनवा दी थीं। अपने शासन के दौरान उसने गैर मुस्लिमों के खिलाफ ज्यादा कर लगा दिया था। जिसे उस समय जजिया कर कहा जाता था।

उसने सिखों के गुरु तेगबहादुर की हत्या सिर्फ इसलिए करवा दी थी कि  उन्होंने इस्लाम धर्म कबूल करने से मना कर दिया था। ऐसे मुग़ल शासक को हमारा देश कभी भी पसंद नहीं कर सकता। हिन्दू के साथ-साथ सिख भी उससे नफरत करते हैं। लिहाजा ऐसे शासक की अगर कोई प्रशंसा करेगा तो निश्चित ही बवाल होगा। हिन्दुओं और सिखों को बूरा लगेगा। जिसने भी औरंगजेब को अपना बताने की कोशिश की है उसे कठोर दंड मिलना चाहिए। पुलिस इस मामले में कुछ आरोपियों को गिरफ्तार भी कर चुकी है। उधर ओवैसी ने फडणवीस के ब्यान के बाद नाथूराम गोडसे और नारयण आप्टे का नाम लेकर मामले को गरमाने की कोशिश की है। उन्होंने इस मामले में उन दोनों का जिक्र किया है। अगर औरंगजेब की तारीफ़ नहीं की जा सकती तो शायद नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे की भी तारीफ़ नहीं हो सकती। क्योंकि इन दोनों पर महात्मा गांधी की ह्त्या का आरोप लगा था। जिसकी सुनवाई के बाद उन दोनों को फांसी दे दी गई थी। नारायण आप्टे और नाथूराम गोडसे उस समय हिन्दू सभा के सदस्य हुआ करते थे।

औरगजेब के इस वीडियो के वाइरल होने के बाद कुछ नेताओं ने इसमें महारष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को भी घसीट लिया है, उन्हें यह कहते हुए एक वीडियो वाइरल कर दिया गया,जिसमे वो कहते नजर आ रहे हैं कि  औरंगजेब उनके भाई जैसा था। हालांकि इस वाइरल विडिओ में उद्धव ठाकरे जिस औरंगजेब की बात कर रहे थे, वो भारतीय सेना का एक सिपाही था, जो शहीद हो गया था। हालांकि उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने भी इस मामले को लेकर बड़ा सटीक ब्यान दे दिया है। उन्होंने कह दिया है कि जिस औरंगजेब को मराठियों ने 400 साल पहले दफना दिया था। उसे आज फिर ज़िंदा करने की कोशिश की जारी है।

मामला चूँकि एक विशेष समुदाय से जुड़ा हुआ है। उस समुदाय के कुछ खुराफाती लोग गाहे बगाहे ऐसी हरकतें करते रहते हैं। उनकी इन्ही हरकतों की वजह से देश के बाकी मुसलमान भी अन्य लोगों के निशाने पर आ जाते हैं। ऐसे खुराफातियों को समझाने की जिम्मेवारी शायद ओवैसी जैसे नेताओं की ज्यादा बनती है। माना कि फडणवीस का बयान कुछ ज्यादा तीखा हो गया है, लेकिन उनके तीखेपन का कारण तो वही लोग हैं, जिन्होंने औरंगजेब की बात की है। जिन्होंने उसे अपना बताया है। हर धर्म में कमोबेश कुछ ऐसे लोग हैं। जो आए दिन इस तरह के उटपटांग ब्यान देते रहते हैं, या इस तरह की उटपटांग हरकतें करते रहते हैं। जो देश विरोधी भी है। सरकार उनके खिलाफ कठोर कार्यवाई करे। सरकार की कार्यवाई से शायद ही कोई असंतुष्ट होगा। लेकिन जो मामले को भड़काते हैं वो शायद गलत है। कम से कम संवैधानिक पदों पर बैठे हुए किसी व्यक्ति को उटपटांग बयान देना शोभा नहीं देता है।
 

शंकर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली


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