दिल्ली के एम्स में जबड़े के दुर्लभ ट्यूमर की सफल सर्जरी
देश की राजधानी दिल्ली स्थित एम्स में किशोरी के जबड़े में हुए दुर्लभ तरह के ट्यूमर की सफल सर्जरी की गई है।
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14 वर्षीय किशोरी को जबड़े की आंतरिक कोशिका में हाइपरपैराथायरायडिज्म ट्यूमर की शिकायत हुई थी।
एम्स के आम सर्जरी विभाग और मैक्सिलोफेशिल सर्जरी के सहयोग यह जटिल आपरेशन किया जा सका। इसमें सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. सुनील चंबर और मैक्सिलोफेशियल विभाग के प्रमुख डॉ. अजय रॉय चौधरी की प्रमुख भूमिका रही।
पैराथायरायड ग्रंथि, जो गर्दन में स्थित होती है, मानव शरीर में कैल्शियम और फॉस्फेट के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह ग्रंथि पैराथायराइड हार्मोन (पीटीएच) का स्राव करती है, जो रक्त में कैल्शियम के स्तर को नियंत्रित करता है।डॉ. सुनील चंबर कहते हैं कि हाइपरपेराथायरायडिज्म एक ऐसी स्थिति है जो पैराथीरॉइड ग्रंथि को अतिरिक्त पैराथायराइड हार्मोन उत्पन्न करने का कारण बनती है, जिससे रक्त में कैल्शियम के स्तर में वृद्धि होती है। यह कमजोरी, थकान और हड्डियों में दर्द सहित कई लक्षण पैदा कर सकता है। दुर्लभ मामलों में, यह हड्डियों या शरीर के कोमल ऊतकों में ट्यूमर का कारण बनता है। यदि इन ट्यूमर का समय पर पता चल जाए, तो वे शल्य चिकित्सा द्वारा पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं और अन्य जटिलताओं से बच सकते हैं।
14 वर्षीय लड़की के जबड़े में एक विशाल कोशिका ट्यूमर विकसित हो गया था, जो एक बढ़ कर विशाल आकार ले चुका था। ट्यूमर बढ़ने के कारण चेहरा विकृति, खाने और बोलने में कठिनाई हो रही थी। एम्स में ओरल और मैक्सिलोफेशियल सर्जरी के प्रमुख डॉ. अजॉय रॉयचौधरी ने बताया कि यह ट्यूमर दुर्लभ प्रकार है जो आमतौर पर सौम्य होता है। अजॉय रॉयचौधरी ने बताया, लेकिन हम सटीक योजना और एक अच्छी टीम के साथ कुशल प्रबंधन करने में सक्षम थे।
हाइपरपरैथायराइडिज्म के कारण होने वाले जबड़े के ट्यूमर इस स्थिति की दुर्लभ लेकिन गंभीर जटिलता है। ये ट्यूमर आम तौर पर सौम्य और धीमी गति से बढ़ते हैं, लेकिन वे जबड़े की हड्डी के महत्वपूर्ण विनाश का कारण बन सकते हैं, जिससे दर्द, सूजन और विकृति हो सकती है। यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो वे दांतों के नुकसान का कारण भी बन सकते हैं, और यहां तक कि जबड़े की हड्डी टूट भी सकती है। कई बार अगर पैराथायराइड एडेनोमा का इलाज नहीं किया जाता है तो पूरे जबड़े की हड्डी में ट्यूमर फैल सकता है और गंभीर दुर्बलता का कारण बन सकता है।
डॉ. रिजुता अपफले और डॉ. गोपाल पुरी ने इस तरह के ट्यूमर और अन्य संबंधित स्थितियों के विकास से बचने के लिए हाइपरपैराथायरायडिज्म का जल्द पता लगाने और उपचार के महत्व पर जोर दिया। बड़े जबड़े के ट्यूमर या हाइपरपैराथायरायडिज्म के अन्य लक्षणों का सामना करने पर उच्च पीटीएच स्तर के लिए परीक्षण करवाना महत्वपूर्ण है। डॉ. सूरज प्रेमानंद ने हमें बताया कि यह ट्यूमर साहित्य में अब तक का सबसे बड़ा जबड़े का ट्यूमर है जो हाइपरपैराट्रोइडिज्म से जुड़ा है।
एम्स में एंडोक्राइन सर्जरी और ओरल और मैक्सिलोफेशियल सर्जरी, रेडियोडायग्नोसिस, न्यूक्लियर मेडिसिन और पैथोलॉजी और एनेस्थिसियोलॉजी के बीच एक टीम काम करती है और मरीज को सामान्य जीवन हासिल करने में मदद करती है। डॉ. देवसेनापति और डॉ. निशिकांत दामले के नेतृत्व में आधुनिक रेडियोलॉजी और परमाणु चिकित्सा निदान विधियों का उपयोग करके उसके ट्यूमर का निदान किया गया। प्रो सुनील चंबर के नेतृत्व में सर्जनों की टीम द्वारा पैराथायरायड एडेनोमा के लिए उनका ऑपरेशन किया गया और जबड़े के ट्यूमर को हटा दिया गया था। प्रो.अजॉय रॉयचौधरी और प्रो.ओंगकिला भूटिया द्वारा जबड़े का पुनर्निर्माण किया गया। मरीज ने खाना शुरू कर दिया है और स्वस्थ और सामान्य जीवन जी रही है। एम्स में इस टीम वर्क ने उन्हें जीवन की गुणवत्ता बहाल करने में मदद की है। यह केस टीम वर्क और समर्पण पर आधारित है, जिसके लिए एम्स जाना जाता है।
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