संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर कॉलेजियम को लेकर बोले CJI - कोई भी संस्था परिपूर्ण नहीं

Last Updated 26 Nov 2022 07:39:34 AM IST

देश के प्रधान न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि संवैधानिक लोकतंत्र में कॉलेजियम सहित कोई भी संस्था परिपूर्ण नहीं है। इसका समाधान मौजूदा व्यवस्था के भीतर काम करना है।


देश के प्रधान न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ (फाइल फोटो)

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित समारोह में कहा कि न्यायाधीश वफादार सैनिक होते हैं जो संविधान लागू करते हैं।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायपालिका में अच्छे लोगों को लाने और उन्हें उच्च वेतन देने से कॉलेजियम पण्राली में सुधार नहीं होगा। न्यायाधीश बनाना इससे जुड़ा नहीं है कि कितना वेतन आप न्यायाधीशों को देते हैं।

आप न्यायाधीशों को कितना भी अधिक भुगतान करें, यह एक दिन में एक सफल वकील की कमाई का एक अंश होगा। लोग सार्वजनिक सेवाओं के प्रति प्रतिबद्धता की भावना के लिए न्यायाधीश बनते हैं। जज बनना अंतरात्मा की पुकार है।

कानूनी पेशे को औपनिवेशिक आधार छोड़ने की जरूरत

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि कानूनी पेशे को अपने औपनिवेशिक आधार को छोड़ने की जरूरत है और वकीलों के सख्त ड्रेस कोड (विशेष रूप से गर्मियों में) पर पुनर्विचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘मैं ड्रेस को हमारे जीवन, मौसम और समय के अनुकूल बनाने पर विचार कर रहा हूं।

ड्रेस पर सख्ती से महिला वकीलों की नैतिक पहरेदारी नहीं होनी चाहिए।’

कॉलेजियम सिस्टम क्या है?

यह एक ऐसी प्रणाली है जिसके तहत न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण भारत के मुख्य न्यायाधीश और सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों के एक मंच द्वारा तय किए जाते हैं । भारतीय संविधान में इसका कोई स्थान नहीं है।

न्यायाधीश को अपने निर्णय के जरिए बोलना चाहिए : कानून मंत्री किरेन रिजीजू

निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर उच्चतम न्यायालय में जारी सुनवाई के बीच कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा कि एक न्यायाधीश को अपने फैसले के माध्यम से बोलना चाहिए क्योंकि उनकी टिप्पणियों से ‘मुश्किल स्थिति’ पैदा हो सकती है। एक कार्यक्रम में पूछे गए एक सवाल कि उच्चतम न्यायालय यह जानना चाहता है कि कानून मंत्री ने एक विशेष चुनाव आयुक्त को कैसे चुना, रिजीजू ने कहा, ‘फिर लोग पूछेंगे कि कॉलेजियम ने न्यायाधीश बनने के लिए किसी खास व्यक्ति का चयन कैसे किया?’ उन्होंने कहा, ‘इस प्रश्न से मुश्किल स्थिति पैदा होगी। इसलिए एक न्यायाधीश को अपने निर्णय के माध्यम से बोलना चाहिए।’

सरकार और न्यायपालिका के बीच लगातार गतिरोध के बीच केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजीजू ने लोकतंत्र के दो स्तंभों के बीच भ्रातृत्व संबंधों की हिमायत करते हुए कहा कि वे भाइयों की तरह हैं और उन्हें आपस में नहीं लड़ना चाहिए। रिजीजू ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने कभी भी न्यायपालिका के अधिकार को कमजोर नहीं किया है और वह हमेशा यह सुनिश्चित करेगी कि उसकी स्वतंत्रता अछूती रहे और सवंर्धित हो।

अपने संबोधन में उन्होंने कहा, ‘नेता कमजोर होता है तो देश कमजोर होता है। अगर सीजेआई को कमजोर किया जाता है, तो यह खुद उच्चतम न्यायालय को भी कमजोर करने के बराबर है। अगर शीर्ष अदालत कमजोर हो जाती है, तो यह भारतीय न्यायपालिका को कमजोर करने के बराबर है।’ अस्थिरता देश को कमजोर करती है और प्रधानमंत्री देश का निर्वाचित नेता होता है। उन्होंने कहा, ‘जब उनका (प्रधानमंत्री का) सम्मान किया जाता है तो देश की छवि बेहतर होती है।’

 

भाषा
नई दिल्ली


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