रिहाई के आदेश पर बोला राजीव गांधी का हत्यारा पेरारीवलन- मेरी मां की लड़ाई की वजह से हुई रिहाई

Last Updated 18 May 2022 04:23:20 PM IST

राजीव गांधी हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एजी पेरारीवलन की रिहाई के आदेश पर कहा कि उनकी मां की लड़ाई ने आखिरकार उनकी रिहाई का रास्ता तैयार किया।


राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी पेरारिवलन, (जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 31 साल की कैद के बाद रिहा करने का आदेश दिया) ने कहा कि न्याय के लिए उनकी मां की लड़ाई ने आखिरकार उनकी रिहाई का रास्ता तैयार किया। वह जोलारपेट्टई स्थित अपने आवास पर मां को मिठाई खिलाकर मीडियाकर्मियों से बात कर रहे थे।

उनके पिता कुयिलनाथन ने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि पेरारिवलन की शादी का फैसला रिश्तेदारों और परिवार के सदस्यों के साथ चर्चा के बाद लिया जाएगा।

पेररिवलन के आवास पर रिश्तेदारों, मित्रों और शुभचिंतकों की भारी भीड़ देखी जा रही है।

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ ने संविधान की धारा 142 का इस्तेमाल करते हुए पेररिवलन को रिहा करने के आदेश जारी किया।

बता दें कि केंद्र सरकार ने पेरारिवलन की रिहाई के लिए अपनी सहमति नहीं दी थी और भारत सरकार ने तर्क दिया है कि पेरारिवलन की रिहाई पर निर्णय केवल भारत के राष्ट्रपति ले सकते हैं।

तमिलनाडु सरकार ने पेररिवलन की रिहाई के लिए सर्वसम्मत निर्णय लिया था, क्योंकि वह 31 साल से जेल में बंद था।

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे ए. जी. पेरारिवलन को न्यायालय ने यह देखते हुए नौ मार्च को जमानत दे दी थी कि सजा काटने और पैरोल के दौरान उसके आचरण को लेकर किसी तरह की शिकायत नहीं मिली।

शीर्ष अदालत 47 वर्षीय पेरारिवलन की उस याचिका पर सुनाई कर रही थी, जिसमें उसने ‘मल्टी डिसिप्लिनरी मॉनिटरिंग एजेंसी’ (एमडीएमए) की जांच पूरी होने तक उम्रकैद की सजा निलंबित करने का अनुरोध किया था।

तमिलनाडु के श्रीपेरुम्बदुर में 21 मई, 1991 को एक चुनावी रैली के दौरान एक महिला आत्मघाती हमलावर ने खुद को विस्फोट से उड़ा लिया था जिसमें राजीव गांधी मारे गए थे। महिला की पहचान धनु के तौर पर हुई थी।

न्यायालय ने मई 1999 के अपने आदेश में चारों दोषियों पेरारिवलन, मुरुगन, संथन और नलिनी को मौत की सजा बरकरार रखी थी।

शीर्ष अदालत ने 18 फरवरी 2014 को पेरारिवलन, संथन और मुरुगन की मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया था। न्यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा उनकी दया याचिकाओं के निपटारे में 11 साल की देरी के आधार पर फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने का निर्णय किया था।

आईएएनएस/भाषा
चेन्नई


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