107 रक्षा उत्पादों के आयात पर ‘अंकुश’
रक्षा मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को आयात पर अंकुशों को लेकर 107 उप-प्रणालियों और उपकरणों की नई सूची जारी की।
![]() रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (फाइल फोटो) |
इसका मुख्य मकसद देश में विनिर्माण को बढ़ावा देना है। इस पाबंदी के तहत दिसम्बर 2022 से शुरू होने वाली छह साल की अवधि के दौरान अलग-अलग समयावधि से इनके आयात की अनुमति नहीं दी जाएगी।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भर होने के निरंतर प्रयास तथा आत्मनिर्भर भारत के तहत रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक प्रतिष्ठानों के आयात को कम करने के मकसद से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 107 लाइन रिप्लेसमेंट यूनिटों (एलआरयू)/उप-प्रणालियों की मंजूरी दी गई है। यह मंजूरी समयसीमा के साथ दी गई है, जिसके बाद उनके आयात पर प्रतिबंध रहेगा।
बयान के अनुसार, इन यूनिटों/उप-प्रणालियों का आने वाले वर्षों में देश में ही विनिर्माण किया जाएगा और निर्धारित समयसीमा के बाद इन्हें केवल भारतीय उद्योग से ही खरीदा जाएगा। सूची में हेलीकॉप्टर, पनडुब्बी, टैंक, मिसाइल और संचार प्रणाली आदि के उत्पादन में लगने वाले जरूरी उपकरण शामिल हैं। इनमें से कई उपकरणों और प्रणालियों की खरीद फिलहाल रूस से की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल दिसम्बर में रक्षा मंत्रालय ने निर्धारित समयावधि से आयात पर पाबंदी को लेकर 2,851 उप-प्रणालियों और कलपुजरें की सूची जारी की थी। नई सूची में आयात प्रतिबंध के लिये चिन्हित कुछ कलपुजरें और उप-प्रणालियों का उपयोग देश में विकसित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच), हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच), हल्के उपयोगी हेलीकॉप्टर (एलयूएच), इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली, एस्ट्रा मिसाइल, टी-90 टैंक और सैन्य लड़ाकू वाहन के निर्माण के लिये किया जाता है।
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