दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि यदि दिल्ली सरकार लोगों को निर्धारित समय-सीमा में कोवैक्सीन की दोनों खुराक नहीं लगवा सकती, तो ‘‘इतने जोर-शोर’’ से इतने टीकाकरण केंद्र शुरू नहीं करने चाहिए थे।
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न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया और उसे यह बताने को कहा कि क्या वह कोवैक्सीन की पहली खुराक ले चुके लोगों को दोनों खुराकों के बीच छह सप्ताह का अंतराल समाप्त होने से पहले दूसरी खुराक मुहैया करा सकती है।
अदालत ने राष्ट्रीय राजधानी में कोवैक्सीन और कोविशील्ड दोनों टीकों की दूसरी खुराक उपलब्ध कराने का अनुरोध करने वाली दो याचिकाओं पर केंद्र को भी नोटिस जारी किया।
अदालत ने दोनों याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘‘अगर आपको (दिल्ली सरकार) पूरी तरह निश्चित पता नहीं था कि आप दूसरी खुराक भी मुहैया करा सकते हैं तो आपने टीकाकरण क्यों शुरू किया? आपको बंद कर देना चाहिए। महाराष्ट्र को जब लगा कि वे दूसरी खुराक नहीं दे सकते तो उन्होंने इसे बंद कर दिया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आपने हर जगह इतने जोर-शोर से कई सारे टीकाकरण केंद्र खोले और अब आप कह रहे हैं कि आपको पता नहीं कि दूसरी खुराक कब उपलब्ध होगी।’’
एक याचिका आशीष विरमानी ने दाखिल की है जिन्होंने कोवैक्सीन की पहली खुराक तीन मई को लगवाई थी और वह 29 मई से दूसरी खुराक के लिए स्लॉट बुक नहीं करा पा रहे थे।
विरमानी की ओर से वकील पल्लव मोंगिया ने अदालत को बताया कि इसके बाद विरमानी को टीके की दूसरी खुराक लगवने के लिए मेरठ जाना पड़ा।
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील अनुज अग्रवाल ने अदालत को बताया कि टीकों की खुराक की आपूर्ति का मसला इस समय राज्य और उत्पादक के बीच है।
उन्होंने कहा कि उन्हें खुद भी दूसरी खुराक लगवानी है लेकिन कोवैक्सीन की कमी है।
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