भगोड़े श्रवण गुप्ता को प्रत्यर्पण के जरिए भारत लाने की तैयारी!
भारत सरकार और संयुक्त अरब अमीरात ने धोखाधड़ी और हवाला के जरिए विदेशों में पैसा भेजने के आरोपी एमजीएफ के मालिक श्रवण गुप्ता पर शिंकजा कसना शुरू कर दिया है।
धोखाधड़ी और हवाला के जरिए विदेशों में पैसा भेजने के आरोपी एमजीएफ के मालिक श्रवण गुप्ता |
बीते साल ब्रिटेन भागे श्रवण गुप्ता का प्रत्यर्पण कराने की तैयारी भी शुरू हो गई है। सूत्रों की माने तो श्रवण के तार 36 सौ करोड़ के बहुचर्चित अगस्ता वेस्टलैंड चॉपर घोटाले से भी जुड़े हुए हैं। उसके ठिकानों पर हुई छापेमारी के दौरान सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय को कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद हुए हैं। कॉमनवेल्थ ऑफ़ डोमिनिसिया की नागरिकता का आवेदन कर चुके श्रवण के खिलाफ इंटरपोल कभी भी लुकआउट नोटिस जारी कर सकती है।
सूत्रों के अनुसार, 36 सौ करोड़ रुपए के अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में मॉरिशस की जिस कंपनी इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज ने प्रमुख रूप से मनी लॉन्ड्रिंग की थी, उसी कंपनी ने श्रवण गुप्ता की नामी और बेनामी कंपनियों में करोडो रुपए स्थानांतरित किए थे। श्रवण गुप्ता की चार कंपनियों के खातों में इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज लिमिटेड ने 19.5 करोड़ रुपए का भुगतान किया था।
जबकि साढ़े चार करोड़ रुपए उसकी अन्य बेनामी कंपनियों के खतों में जमा किए गए थे। दिसम्बर 2018 में प्रवर्तन निदेशालय ने श्रवण गुप्ता की कंपनियों की 10.28 करोड़ रुपए कीमत की सम्पतियां विदेशी मुद्रा अधिनियम के तहत जब्त कर ली। उस पर आरोप है कि उसने अवैध रूप से हवाला के माध्यम से स्विस बैंक में भी करोडो रुपए जमा कराए हैं। इससे संबंधित एक मामले की जांच सीबीआई भी कर रही है।
रियल एस्टेट बिजनेस में दखल रखने वाला श्रवण गुप्ता एमजीएफ ऑटोमोबाइल, एमजीएफ डेवलपमेंट, एमजीएफ हाउसिंग, एमजीएफ इन्फोटेक, एमजीएफ मेट्रो मॉल, एमजीएफ मोटर्स, एमजीएफ प्रोमोटर्स, पेरिस रिसोर्ट और यशोदा प्रोमोटर्स आदि कई दर्जन कंपनियों में निदेशक है। आरोप है कि श्रवण और उसकी पत्नी ने दुबई की मशहूर रियल एस्टेट कंपनी एम्मार प्रॉपर्टीज से भी धोखाधड़ी कर 43.5 करोड़ रुपए ठग लिये। उसने दुबई की कंपनी से अपनी साझेदारी के दौरान संयुक्त रूप से अधिग्रहित किए गए 18 बेशकीमती भूखंडों को दस गुना कम दाम पर अपनी और अपनी पत्नी के 99 फीसद शेयर वाली कंपनी डिस्कवरी एस्टेट्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम स्थानांतरित करा लिया था। ताकि बाद में उन्हें कई गुना ज्यादा दाम पर बेचकर करोडो रुपए कमा सके।
जांच एजेंसियों की माने तो ‘शातिर दिमाग’ श्रवण कानूनी दांवपेंचो का सहारा लेकर कानूनी प्रक्रिया को भी गुमराह करने में कामयाब रहा। यही वजह है कि हैदराबाद स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने जनवरी 2019 में उसे विदेश जाने की अनुमति दे दी। प्रवर्तन निदेशालय ने उसे नोटिस भेजकर 23 नवम्बर 2019 को पूछताछ के लिए बुलाया था। मगर श्रवण ने एजेंसी को भेजे गए चिकित्सा प्रमाणपत्र में छह दिन आराम की चिकित्सीय सलाह का हवाला देकर जांच में सहयोग नहीं किया और दो दिन बाद 26 नवम्बर को इंग्लैंड भाग गया।
जांच एजेंसी ने एक के बाद एक नौ नोटिस भेजकर उसे पूछताछ के लिए बुलाया। मगर न तो उसने उसने जांच में सहयोग किया कर न ही मांगे गए दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए। जिसके बाद 29 अगस्त 2020 को उसके खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी कर दिया गया। तभी से श्रवण जांच एजेंसी या अदालत के सामने पेश नहीं हुआ है। उसके काले कारनामों का खुलासा करने में जुटी सीबीआई ने 24 जून 2020 को गुप्ता और उसकी सहयोगी कंपनियों के दिल्ली और गुडगांव सहित नौ ठिकानों पर छापे मारे थे। इस दौरान कई ऐसे दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस बरामद हुए, जिनमे गुप्ता के कारनामों का लेखाजोखा दर्ज है। इसके अगले ही दिन प्रवर्तन निदेशालय ने श्रवण के सात ठिकानो पर छापा मारकर 3600 करोड़ रुपए के अगस्ता वेस्टलैंड चॉपर घोटाले से जुड़े दस्तावेजों की छानबीन भी की थी।
जांच एजेंसियों को भनक लगी है कि फिलहाल इंग्लैंड में मौजूद भगोड़े श्रवण ने परिवार सहित द्वीप देश ‘कॉमनवैल्थ ऑफ़ डोमिनिसिया’ की नागरिकता के लिए आवेदन किया हुआ है। ताकि वह जांच एजेंसियों की गिरफ्त में आने से बच सके। लेकिन दुबई की कंपनी से की गई धोखाधड़ी से नाराज संयुक्त अरब अमीरात के साथ भारत सरकार ने भी श्रवण गुप्ता पर शिंकजा कसना शुरू कर दिया है। सरकार ने इंटरपोल की मदद से उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कराने के साथ ही ब्रिटेन से उसका प्रत्यर्पण कराने की कवायद भी शुरू कर दी है।
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