लक्ष्मण रेखा न लांघें संविधान के तीनों अंग

Last Updated 26 Nov 2020 01:56:45 AM IST

देश के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत करने के लिए यह जरूरी है कि संविधान के तीनों अंग विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका लक्ष्मण रेखा में रहकर काम करें, क्योंकि संस्थाएं एक-दूसरे से बड़ी नहीं, बल्कि समान हैं।


राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (फाइल फोटो)

केवड़िया में आयोजित पीठासीन अधिकारियों के 80वें सम्मेलन में बुधवार को राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति समेत लोकसभा अध्यक्ष ने लोकतंत्र को और भी मजबूत करने के लिए संवैधानिक संस्थाओं के एक-दूसरे से टकराव करने के बजाय संबंध स्थापित करने पर बल दिया। सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि संसद और विधानसभाएं संवैधानिक व्यवस्था के मजबूत स्तम्भ हैं।

उन्होंने सांसदों और विधायकों के अमर्यादित व्यवहार पर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि देश की जनता, अपने जनप्रतिनिधियों से संसदीय मर्यादाओं के पालन की अपेक्षा करती है इसलिए कभी-कभी जब जनप्रतिनिधियों द्वारा संसद या विधानसभा में अमर्यादित भाषा का प्रयोग या अमर्यादित आचरण किया जाता है तो जनता को बहुत पीड़ा होती है। जनकल्याण के व्यापक हित में, सामंजस्य और समन्वय का मार्ग अपनाया जाना चाहिए। लोकतांत्रिक व्यवस्था में, ‘वाद’ को ‘विवाद’ न बनने देने के लिए ‘संवाद’ का माध्यम ही सबसे अच्छा माध्यम होता है।

 

भारतीय संविधान के तीनों अंग समान : वेंकैया

सम्मेलन में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू सबसे अधिक मुखर थे। उन्होंने कहा कि संविधान में तीनों अंग विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका समान हैं, इनको एक-दूसरे के कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से पिछले दिनों देखा गया कि आपस में लक्ष्मण रेखाओं का उल्लंघन किया गया।

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए तीनों अंगों के कार्य को संविधान में अच्छी तरह से परिभाषित किया गया है। संविधान सर्वोच्च है और तीनों अंगों को उसी को मानना चाहिए। हंगामा करने वाले सांसदों को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि राज्यसभा में प्रश्नकाल में आए दिन हंगामा होता था, जिसके कारण प्रश्नकाल का समय बदलना पड़ा। इसकी वजह से पहले जो प्रोडक्टिविटी रेट 32 प्रतिशत थी व अब बढ़कर 41 प्रतिशत हो गई है।

तीनों अंगों के बीच आदर्श समन्वय जरूरी : बिरला
लोकतंत्र की यात्रा में संस्थाओं में मतान्तर सामने आए हैं। संवैधानिक प्रावधानों व लोकतांत्रिक प्रणाली के तहत प्रक्रियाओं में सुधार कर उनका समाधान निकालेंगे। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि लोकतंत्र के तीनों स्तंभों के बीच आदर्श समन्वय आवश्यक है। उन्होंने कहा कि तीनों संस्थाओं का मकसद जनता के हितों का संरक्षण करना है तथा तीनों के पास काम करने की पर्याप्त शक्तियां हैं।

इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, विधानसभा अध्यक्ष राजेन्द्र त्रिवेदी व लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। पीठासीन अधिकारियों की बैठक में 27 राज्यों के विधानसभा, विधान परिषद के अध्यक्ष, संसदीय सचिव और अधिकारीगण हिस्सा ले रहे हैं। बृहस्पतिवार को समापन सत्र को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संबोधित करेंगे।

सहारा न्यूज ब्यूरो/रोशन
केवडिया (वडोदरा)


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment