मोदी छात्रों संग की 'परीक्षा पे चर्चा'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज छात्रों के साथ 'परीक्षा पे चर्चा' की। चर्चा की शुरुआत करते हुए उन्होंने कहा कि फिर एक बार आपका ये दोस्त आप सबके बीच में है।
![]() प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी |
दिल्ली के तालकटोरा इनडोर स्टेडियम में हुई इस चर्चा में प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहा कि सबसे पहले मैं आपको नववर्ष 2020 की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। ये दशक सभी के लिए काफी महत्वपूर्ण है। देश आज की पीढ़ी पर काफी निर्भर करता है।
उन्होंने कहा, मैं कई कार्यक्रमों में जाता हूं। लेकिन अगर कोई मुझे कहे कि इतने कार्यक्रमों के बीच वो कौन सा कार्यक्रम है जो आपके दिल के सबसे करीब है, तो मैं कहूंगा वो कार्यक्रम है परीक्षा पे चर्चा।
उन्होंने कहा, युवा मन क्या सोचता है, क्या करना चाहता है, ये सब मैं भली-भांति समझ पाता हूं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अगर मैं ये चर्चा ना करता तो भी प्रधानमंत्री पद पर कोई असर नहीं पड़ता। लेकिन मैंने खुद ये प्रस्ताव किया। जैसे आपके माता-पिता के मन में 10वीं, 12वीं को लेकर टेंशन रहती है, तो मुझे लगा आपके माता-पिता का भी बोझ मुझे हल्का करना चाहिए। मैं भी आपके परिवार का सदस्य हूं, तो मैंने समझा कि मैं भी सामूहिक रूप से ये जिम्मेदारी निभाऊं।
विफलता से डरें नहीं, नाकामी को जीवन का हिस्सा मानें
मोदी ने कहा, क्या कभी हमने सोचा है कि मूड ऑफ क्यों होता है? अपने कारण से या बाहर के किसी कारण से। अधिकतर आपने देखा होगा कि जब मूड ऑफ होता है, तो उसका कारण ज्यादातर बाह्य होते हैं।
उन्होंने कहा, हम विफलताओं में भी सफलता की शिक्षा पा सकते हैं। हर प्रयास में हम उत्साह भर सकते हैं और किसी चीज में आप विफल हो गए तो उसका मतलब है कि अब आप सफलता की ओर चल पड़े हो।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘विफलता से डरना नहीं चाहिए और नाकामी को जीवन का हिस्सा मानना चाहिये।’’
उन्होंने छात्रों को चंद्रयान मिशन की घटना का जिक्र करते हुये छात्रों को बताया कि उनके कुछ सहयोगियों ने चंद्रयान मिशन की लैंडिंग के मौके पर नहीं जाने की सलाह दी थी, क्योंकि इस अभियान की सफलता की कोई गारंटी नहीं थी।
सिर्फ परीक्षा के अंक जिंदगी नहीं
मोदी ने कहा कि इसके बावजूद वह इसरो के मुख्यालय गये और वैज्ञानिकों के बीच में रहकर उनका भरपूर उत्साहवर्धन किया।
मोदी ने कहा, सिर्फ परीक्षा के अंक जिंदगी नहीं हैं। कोई एक परीक्षा पूरी जिंदगी नहीं है। ये एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। लेकिन यही सब कुछ है, ऐसा नहीं मानना चाहिए। मैं माता-पिता से भी आग्रह करूंगा कि बच्चों से ऐसी बातें न करें कि परीक्षा ही सब कुछ है।
उन्होंने कहा, जाने अनजाने में हम लोग उस दिशा में चल पड़े हैं जिसमें सफलता-विफलता का मुख्य बिंदु कुछ विशेष परीक्षाओं के मार्क्स बन गए हैं। उसके कारण मन भी उस बात पर रहता है कि बाकी सब बाद में करूंगा, एक बार मार्क्स ले आऊं।
पढ़ाई से इतर अन्य गतिविधियों में भी छात्र बढ़ चढ़ कर हिस्सा लें
मोदी ने छात्रों के सवालों के जवाब देते हुये कहा कि छात्रों को खासकर दसवीं और इससे ऊपर की कक्षा के छात्रों को पढ़ाई से इतर गतिविधियों में जरूर शामिल होना चाहिये।
उन्होंने कहा कि अभिभावकों को भी अपने बच्चों को वे काम भी करने देना चाहिये जो वे करना चाहते हों।
सूचना प्रोद्यौगिकी खासकर गैजेट के इस्तेमाल से जुड़े एक अन्य सवाल के जवाब में मोदी ने कहा कि आजकल की पीढ़ी नयी नयी जानकारियों को हासिल करने के लिये ‘गूगल गुरु’ का जमकर इस्तेमाल करती है।
उन्होंने सोशल नेटवर्किंग को आवश्यक बताते हुये कहा कि इसमें समय के साथ विकृति भी आयी है।
उन्होंने कहा, ‘‘तकनीक के बारे में मैं भी विशेषज्ञ नहीं हूं लेकिन इसके बारे में जानने की अपनी लालसा के कारण मैं तकनीक के बारे में पूछताछ करता रहता हूं और इसका मुझे बहुत लाभ मिलता है।’’
गैजेट्स के अधिक इस्तेमाल के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि परिवार में या अन्यत्र स्थानों पर अधिकांश लोग गैजेट में लीन रहते हैं। मैं खुद को एक निश्चित समय के लिये प्रतिदिन गैजेट से पूरी तरह से अलग रखता हूं।’’
उन्होंने छात्रों से अपील की कि घर में एक ऐसा कमरा निर्धारित करें जिसमें तकनीक का प्रवेश वर्जित हो। उसमें सिर्फ अपने परिजनों से बातचीत करने का ही विकल्प हो। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से आप देखेंगे कि कितना लाभ मिलेगा।
छात्र घूमने के लिये पूर्वोत्तर जरूर जायें
मोदी ने अधिकार और दायित्व के बारे में पूछे गये एक छात्र के सवाल के जवाब में कहा कि यह सही है कि स्कूली पाठ्यक्रम में समय के साथ बहुत विस्तार हुआ है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे समय में नागरिक शास्त्र पढ़ाया जाता था, अब यह विषय सीमित होता जा रहा है, उसमें हमें अधिकार और कर्तव्यों के बारे में पढ़ाया जाता था।’’
उन्होंने पूर्वोत्तर की छात्रा द्वारा अधिकार और कर्तव्य के बारे में पूछे जाने पर खुशी जाहिर करते हुये कहा कि देश के छात्रों को घूमने के लिये पूर्वोत्तर राज्यों के भ्रमण के लिए जरूर जाना चाहिये। देश का यह इलाका हर नजरिये से अतिसमृद्ध है।
उन्होंने कहा कि वस्तुत: मूलभूत अधिकार होते ही नही हैं, बल्कि मूलभूत कर्तव्य होते हैं।
मोदी ने कहा, ‘‘अगर हम अपने दायित्वों का सम्यक निर्वाह करें तो किसी को अपने अधिकारों की मांग करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।’’
प्रधानमंत्री मोदी ने छात्रों से भविष्य में देश और समाज में खुद को नेतृत्व करने की भूमिका के लिये अभी से तैयार करने का अनुरोध किया।
उन्होंने कहा, ‘‘आज की किशोर पीढ़ी 2047 में आजादी के सौ साल पूरे होने पर देश में नेतृत्व की भूमिका में होंगे। जब देश आजादी के सौ साल मनायेगा तब अगर आपको टूटी फूटी व्यवस्था मिले तो क्या आप नेतृत्व की जिम्मेदारी का निर्वाह कर पायेंगे, शायद नहीं।’’
मोदी ने कहा कि हमें यह सोचना चाहिये कि मैं ऐसा क्या कर्तव्य निभाऊं जिससे देश का लाभ हो। हम सोचें कि 2022 में जब आजादी के 75 साल होंगे तब हम संकल्प लें कि हम अपने देश में ही निर्मित वस्तुओं को खरीदेंगे। इससे देश की अर्थव्यव्था को मजबूत बनाने के प्रति हमारे कर्तव्य की पूर्ति होगी।’’
उल्लेखनीय है कि परीक्षा पे चर्चा का यह तीसरा संस्करण है। परीक्षा पे चर्चा का पहला संस्करण 16 फरवरी, 2018 को आयोजित हुआ था और इसका दूसरा संस्करण 29 जनवरी, 2019 को हुआ था। यह कार्यक्रम इस उद्देश्य से शुरू किया गया है कि छात्र तनावमुक्त होकर परीक्षा दे सकें।
छात्रों के बीच प्रधानमंत्री की यह चर्चा लोकप्रिय रही है, और यही कारण है कि पिछले साल के मुकाबले 250 अधिक छात्रों ने इस बार परीक्षा पे चर्चा के लिए अपना पंजीकरण करवाया।
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