सीएए ने दुनिया को पाक में धार्मिक प्रताड़ना की हकीकत दिखाई : मोदी

Last Updated 12 Jan 2020 05:08:42 PM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नये नागरिकता कानून का रविवार को मजबूती से बचाव करते हुए कहा कि इस पर पैदा हुए विवाद ने दुनिया को पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के दमन की हकीकत दिखा दी है।


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस बात पर निराशा जाहिर की कि संशोधित नागरिकता कानून पर युवाओं के एक वर्ग को गुमराह किया जा रहा है जिसका मकसद नागरिकता छीनना नहीं बल्कि नागरिकता देना है।      

प्रधानमंत्री ने रामकृष्ण मिशन के मुख्यालय, बेलूर मठ में जनसभा से कहा, ‘‘सीएए किसी की नागरिकता छीनने के बारे में नहीं है, यह नागरिकता देने के लिए है। आज, राष्ट्रीय युवा दिवस पर, मैं भारत, पश्चिम बंगाल, पूर्वोत्तर के युवाओं को यह बताना चाहता हूं कि यह नागरिकता देने के लिए रातों-रात बना कानून नहीं है।      

उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी को यह पता होना चाहिए कि दुनिया के किसी भी देश का, किसी भी धर्म का व्यक्ति जो भारत और उसके संविधान में यकीन रखता है, वह उचित प्रक्रिया के माध्यम से भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है। इसमें कोई समस्या नहीं है।’’      

मोदी के परिसर छोड़ने के थोड़ी देर बाद ही, मिशन ने उनके भाषण से खुद को यह कहते हुए दूर कर लिया कि यह एक अराजनीतिक संस्था है जहां सभी धर्म के लोग ‘‘भाइयों’’ की तरह रहते हैं।      

रामकृष्ण मठ और मिशन के महासचिव स्वामी सुविरानंद ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘रामकृष्ण मिशन प्रधानमंत्री के भाषण पर टिप्पणी नहीं करेगा। हम पूरी तरह अराजनीतिक संस्था हैं। हम सीएए पर प्रधानमंत्री के भाषण पर टिप्पणी नहीं कर सकते। हम अपना घर-बार छोड़ कर शात चीजों का जवाब देने यहां आए हैं। हम क्षणिक चीजों का जवाब नहीं देते हैं।’’      

उन्होंने कहा, ‘‘हम राजनीति से ऊपर हैं। हमारे लिए नरेंद्र मोदी भारत के नेता और ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की नेता हैं।’’      

साथ ही कहा, ‘‘हम एक संस्थान के तौर पर समग्र हैं जिसमें हिंदू, मुस्लिम, ईसाई धर्म के संन्यासी हैं। हम एक ही माता-पिता से जन्मे भाइयों जैसे ज्यादा हैं।’’      
मोदी ने अपने भाषण में महात्मा गांधी का भी उल्लेख किया और कहा कि यहां तक कि राष्ट्रपिता ने भी धार्मिक प्रताड़ना के कारण यहां आने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता देने का पक्ष लिया था और इस सरकार ने स्वतंत्रता सेनानियों की इच्छाओं की मात्र पूर्ति की है।      

पूर्वोत्तर में सीएए के विरोध में जारी प्रदर्शनों का संदर्भ देते हुए मोदी ने क्षेत्र के लोगों की विशिष्ट पहचान एवं संस्कृति की रक्षा करने की प्रतिबद्धता जताई और कहा कि नया कानून उनके हित को नुकसान नहीं पहुंचाएगा।      

उन्होंने कहा, ‘‘हमने सिर्फ वही किया जो महात्मा गांधी ने दशकों पहले कहा था। क्या हमें इन शरणार्थियों को मरने के लिए वापस भेज देना चाहिए? क्या वे हमारी जिम्मेदारी नहीं हैं? उन्हें हमें अपना नागरिक बनाना चाहिए या नहीं?’’      

मोदी ने कहा कि सीएए पर ‘‘पूर्ण स्पष्टता’’ के बावजूद राजनीतिक हित साधने के लिए कुछ लोग नए नागरिकता कानून के बारे में जानबूझ कर अफवाहें फैला रहे हैं।    

उन्होंने कहा, ‘‘नागरिकता कानून में संशोधन करने की हमारी पहल ने विवाद उत्पन्न कर दिया है। यह हमारी पहल का परिणाम है कि पाकिस्तान को अब जवाब देना होगा कि पिछले 70 वर्षों से वह अल्पसंख्यकों को क्यों प्रताड़ित कर रहा था। पाकिस्तान में मानवाधिकार समाप्त हो चुके हैं।’’      

पूर्वोत्तर के लोगों की चिंताओं को शांत करने के प्रयास में मोदी ने इस क्षेत्र को ‘‘हमारा गौरव’’ बताया।       

उन्होंने कहा, ‘‘उनकी संस्कृति, परंपराएं और जनसांख्यिकी इस संशोधित कानून से किसी भी तरह प्रभावित नहीं होगी।’’      

उन्होंने कहा कि विभाजन के बाद पाकिस्तान में जिन लोगों के साथ र्दुव्‍यवहार किया गया उनके लिए नागरिकता कानून में ‘‘थोड़े से बदलाव’’ किए गए हैं।      

मोदी ने कहा, ‘‘वहां रहते हुए उन्हें कटु अनुभव हो रहे थे। महिलाएं अपना सम्मान खोने का खतरा महसूस कर रहीं थीं।’’      

उन्होंने कहा, ‘‘युवा सारी बात समझ गए हैं लेकिन जो राजनीति करना चाहते हैं उन्हें कुछ समझ नहीं आएगा।’’      

मोदी ने कहा कि पांच साल पहले देश के युवाओं के बीच निराशा थी लेकिन अब स्थिति बदल गई है।       

उन्होंने स्वामी विवेकानंद के निवास स्थान बेलूर मठ में कहा, ‘‘न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया देश के युवाओं से बहुत सी उम्मीदें रखती हैं। युवा चुनौतियों से डरते नहीं हैं..वे चुनौतियों को चुनौती देते हैं।’’      

मोदी, विवेकानंद के अनुयायी हैं। उन्होंने रात मठ में बिताई। उनका 1897 में विवेकानंद द्वारा स्थापित रामकृष्ण मिशन ऑर्डर से लंबे समय से जुड़ाव रहा है। विवेकानंद की शिक्षाओं से प्रेरित होकर, मोदी गुजरात के राजकोट में मिशन के आश्रम पहुंचे थे और ऑर्डर में शामिल होने की इच्छा जताई थी।      

लेकिन रामकृष्ण मठ एवं मिशन के 15वें अध्यक्ष स्वामी आत्मस्थानंद ने उन्हें सलाह दी कि संन्यास उनके लिए नहीं है और उन्हें लोगों के बीच में काम करना चाहिए।      

रविवार को, प्रधानमंत्री ने स्वामी विवेकानंद की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। स्वामी विवेकानंद की जयंती को ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट का नाम बदलकर डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर रखे जाने की घोषणा करते हुए पोर्ट के 33000 पेंशनधारकों और 3500 कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा के लिए 5001 करोड़ की राशि देने का भी ऐलान किया।

इससे पहले जहाजरानी मंत्री मनसुख मांडवीय ने देश के सबसे पुराने कोलकाता बंदरगाह के दशकों बाद वर्ष 2019-20 के दौरान मुनाफा अर्जित करने की घोषणा की। यह बंदरगाह विभिन्न कारणों से पिछले दो दशकों से अधिक समय से घाटे में चल रहा था।

श्री मोदी ने बंदरगाह की 150वें वषर्गांठ पर यहां आयोजित समारोह में जीवन बीमा निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी को बंदरगाह के पेंशनधारकों और मौजूदा कर्मचारियों के सामाजिक कल्याण के लिए गारंटी के तौर पर 5001 करोड़ का चेक सौंपा।

श्री मोदी ने कहा, ‘‘कोलकाता पोर्ट सिर्फ जहाजों के आने-जाने का स्थान नहीं है, ये एक पूरे इतिहास को अपने आप में समेटे हुए है। इस पोर्ट ने भारत को विदेशी राज से स्वराज पाते देखा है। सत्याग्रह से लेकर स्वच्छाग्रह तक इस पोर्ट ने देश को बदलते हुए देखा है।’’



इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने पोर्ट के आधुनिकीकरण एवं आने वाले वष्रों में मांगों के अनुरूप मशीनों को तैयार करने के लिए 600 करोड़ की परियोजनाओं का भी एलान किया। इस वर्ष हल्दिया में मल्टीमॉडल टर्मिनल और फरक्का में नेविगेशनल लॉक को तैयार करने का प्रयास है।

श्री मोदी ने कहा, ‘‘हमारी सरकार मानती है कि हमारे तट विकास के द्वार हैं, इसलिए सरकार ने तटों पर आपसी संपर्क और वहां के आधारभूत ढांचे को आधुनिक बनाने के लिए सागरमाला कार्यक्रम शुरू किया। छह लाख करोड़ रुपये से अधिक की 575 परियोजनायें शुरू की गयी हैं जिनमें से तीन लाख करोड़ की 200 से अधिक योजनाओं पर काम चल रहा है जबकि 125 को पहले ही पूरा किया जा चुका है।’’

श्री मोदी ने इस बात पर गहरा अफसोस जताया कि पश्चिम बंगाल के किसान केंद्र प्रायोजित दो योजनाओं से वंचित हैं। उन्होंने कहा कि बंगाल को छोड़कर देश के आठ करोड़ किसानों को पीएम किसान समान निधि के जरिये सीधा फायदा पहुंचाते हुए उनके खाते में राशि पहुंचाने का काम किया गया है जिस पर कुल 43000 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं।

भाषा
कोलकाता


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