शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने आज साफ किया कि वो आल इंडिया मुसलिम पर्सनल बोर्ड का अंग नहीं है और अयोध्या मामले में आये सुप्रीम कोर्ट के आये फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करेगा।
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बोर्ड की यहां हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। बोर्ड का कहना है कि पुनर्विचार याचिका दाखिल करना बेवजह मामले को तूल देना है। इससे देश में माहौल खराब होगा। शिया वक्फ बोर्ड ने पहले ही साफ कर दिया था कि अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आये, उसे स्वीकार किया जायेगा।
बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा कि पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करने का फैसला बोर्ड ने पूर्ण बहुमत से लिया है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला अंतिम है। इस मामले का अब अंत हो जाना चाहिये। मामले को आगे बढ़ाना इसे तूल देना होगा। इसका अंत होना देश के हित में है।
उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान के मुसलमानों ने बहुमत के साथ सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार किया है। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की राय से भी सहमत नहीं है। रिजवी ने कहा कि अगर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड न्यायालय के आदेश पर मिलने वाली पांच एकड़ जमीन नहीं लेता है तो इस जमीन पर शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड अपनी दावेदारी करेगा। उस जमीन पर अस्पताल बनाए जाने का प्रस्ताव बोर्ड ला सकता है।
दूसरी ओर आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड अगले महीने के पहले सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करेगा। अदालत का फैसला 9 नवम्बर को आया था। उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार याचिका एक महीने के अंदर दाखिल की जा सकती है ।
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