नदियों के ई-फ्लो का राष्ट्रीय ढांचा बनेगा, जर्मनी करेगा भारत का सहयोग
‘गंगा पुनर्जीवन’ से जुड़े कार्यक्रम में सहयोग करने वाले जर्मन विकास सहयोग (जीआईजेड) की कार्यक्रम प्रमुख मार्टिना बुर्कार्ड ने कहा कि नदी के जीवन के लिए पर्यावरण प्रवाह (ई-फ्लो) सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है और नदियों में ई-फ्लो का राष्ट्रीय ढांचा तैयार करने में जर्मनी, भारत का सहयोग करेगा।
![]() नदियों के ई-फ्लो का राष्ट्रीय ढांचा बनेगा |
भारत-जर्मन अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर कार्यशाला में हिस्सा लेने आई बुर्कार्ड ने बताया, नदियों के ई-फ्लो के बारे में काफी काम चल रहा है। भारत-यूरोपीय संघ जल गठजोड़ के तहत ई-फ्लो मूल्यांकन एवं मार्गदर्शक दस्तावेज तैयार किया गया है। इसमें नदी संबंधी हाइड्रोलॉजी, पारिस्थितिकी का आचार व्यवहार एवं तौर तरीके बताये गए हैं।
उन्होंने कहा, हमने पायलट परियोजना के आधार पर तीन नदियों को लिया है और देखेंगे कि नदी के ई-फ्लो संबंधी यूरोपीय संघ की अवधारणा को भारतीय परिदृश्य में किस प्रकार से लागू किया जा सकता है।
गौरतलब है कि ई-फ्लो के तहत किसी भी नदी में एक निश्चित मात्रा में जल स्तर को कायम रखा जाता है ताकि नदी पारिस्थितिकी को बरकरार रखा जा सके। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने बताया, ई-फ्लो के बारे में यूरोपीय संघ की अवधारणा को परखने के लिए भारत की तीन नदियों राम गंगा, महानदी तथा भरथप्पुजा या नीला नदी में प्रायोगिक परियोजना चलाई जाएगी।
इंडिया ईयू वाटर पार्टनरशिप (आईईडब्ल्यूपी)-जीआईजेड की कार्यक्रम प्रमुख बुर्कार्ड ने नदी की स्वच्छता एवं ई फ्लो के संबंध में यूरोपीय संघ के देशों के बीच ‘यूरोपीय संघ जल ढांचा’ दिशानिर्देश बनाये जाने तथा राइन एवं अन्य नदियों में निर्मलता एवं अविरलता कार्यक्रम को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि इसका अनुकरण किया जा सकता है।
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