नहीं रहे हिन्दी आलोचना के शिखर पुरुष नामवर सिंह, कोविंद, मोदी, सहित साहित्य जगत ने जताया दुख

Last Updated 20 Feb 2019 09:54:55 AM IST

हिंदी जगत के प्रसिद्ध साहित्यकार और आलोचना के मूर्धन्य हस्ताक्षर प्रोफेसर नामवर सिंह का मंगलवार को निधन हो गया। वह 92 वर्ष के थे।


नहीं रहे हिन्दी आलोचना के शिखर पुरुष नामवर सिंह

उन्होंने बताया कि नामवर सिंह का अंतिम संस्कार बुधवार अपराह्न तीन बजे लोधी रोड स्थित शमशान घाट में किया जाएगा।     

प्रोफेसर सिंह पिछले करीब एक महीने से बीमार थे। वह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती थे जहां मंगलवार रात 11:15 बजे उन्होंने अंतिम सांस लीं।    

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत कई राजनेताओं, लेखकों और पत्रकारों ने डॉ सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है और उनके अवसान को साहित्य के क्षेत्र की अपूरणीय क्षति बताया है।

साहित्य अकादमी, प्रगतिशील लेखक संघ, जनवादी लेखक संघ और जन संस्कृति मंच समेत कई साहित्यक संगठनों ने भी डॉ सिंह के साहित्य के क्षेत्र में दिये गये उनके योगदान को याद किया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रसिद्ध साहित्यकार नामवर सिंह के निधन पर गहरा शोक प्रकट करते हुए कहा कि ‘दूसरी परंपरा की खोज’ करने वाले नामवर जी का जाना साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।  प्रधानमंत्री ने अपने ट्वीट में कहा, ‘‘ हिन्दी साहित्य के शिखर पुरुष नामवर सिंह जी के निधन से गहरा दुख हुआ है। उन्होंने आलोचना के माध्यम से हिन्दी साहित्य को एक नई दिशा दी।’’   उन्होंने कहा, ‘‘ ‘दूसरी परंपरा की खोज’ करने वाले नामवर जी का जाना साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति दे और परिजनों को संबल प्रदान करे।’’    

 

गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने नामवर सिंह के निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा कि प्रख्यात साहित्यकार एवं समालोचक डॉ नामवर सिंह के निधन से हिंदी भाषा ने अपना एक बहुत बड़ा साधक और सेवक खो दिया है। सिंह ने ट्वीट किया, ‘‘ वे आलोचना की दृष्टि ही नहीं रखते थे बल्कि काव्य की वृष्टि के विस्तार में भी उनका बड़ा योगदान रहा है।

उन्होंने हिंदी साहित्य के नए प्रतिमान तय किए और नए मुहावरे गढे।’’   उन्होंने कहा कि डॉ नामवर सिंह का जाना मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति भी है। विचारों से असहमति होने के बावजूद वे लोगों को सम्मान और स्थान देना जानते थे । उनका निधन हिंदी साहित्य जगत एवं हमारे समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है।

 

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रसिद्ध साहित्यकार एवं हिंदी आलोचना के शिखर पुरुष नामवर सिंह के निधन पर आज गहरी शोक संवेदना व्यक्त की। कुमार ने यहां अपने शोक संदेश में कहा डॉ. नामवर सिंह हिंदी जगत के प्रख्यात साहित्यकार एवं आलोचक थे। उनका न केवल हिंदी साहित्य की दुनिया में अहम योगदान था बल्कि शिक्षण के क्षेत्र में भी उनका खासा योगदान रहा। उन्होंने विभिन्न विश्वविद्यालयों जैसे काशी विश्वविद्यालय सागर विश्वविद्यालय जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अध्यापन का कार्य किया था।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हिंदी जगत के प्रसिद्ध साहित्यकार नामवर सिंह के निधन पर दुख प्रकट करते हुए बुधवार को कहा कि भारतीय भाषाओं ने अपनी एक ताकतवर आवाज खोज दी है और परस्पर संवाद को बहाल करना ही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी।       

गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘नामवर सिंह के निधन से भारतीय भाषाओं ने अपनी एक ताकतवर आवाज खो दी है। समाज को सहिष्णु, जनतांत्रिक बनाने में उन्होंने जिंदगी लगा दी। हिंदुस्तान में संवाद को बहाल करना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी।’’

 

नामवर सिंह का जन्म 28 जुलाई 1926 को वाराणसी के एक गांव जीयनपुर (वर्तमान में ज़िला चंदौली) में हुआ था। उन्होंने बीएचयू से हिंदी साहित्य में एमए और पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने बीएचयू, सागर एवं जोधपुर विविद्यालय और जेएनयू में पढाया।    

साहित्य अकादमी सम्मान से नवाजे जा चुके नामवर सिंह ने हिंदी साहित्य में आलोचना को एक नया आयाम दिया।    

‘छायावाद’, ‘इतिहास और आलोचना’, ‘कहानी नयी कहानी’, ‘कविता के नये प्रतिमान’, ‘दूसरी परम्परा की खोज’ और ‘वाद विवाद संवाद’ उनकी प्रमुख रचनाएं हैं। उन्होंने हिंदी की दो पत्रिकाओं ‘जनयुग’ और ‘आलोचना’ का संपादन भी किया।

प्रसिद्ध लेखक अशोक वाजपेयी, निर्मला जैन, विश्वनाथत्रिपाठी, काशी नाथ सिंह, ज्ञानरंजन, मैनेजर पांडे, मुरली मनोहर प्रसाद सिंह, असगर वाहत, नित्यानंद तिवारी तथा मंगलेश डबराल जैसे लेखकों ने सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है और हिन्दी साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया है।


 

भाषा/वार्ता
नई दिल्ली


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