राफेल डील पर सुनवाई हुई खत्म, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

Last Updated 14 Nov 2018 01:35:49 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील मामले की जांच की मांग वाली याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है.


राफेल डीलः SC में सुनवाई जारी (फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय वायु सेना के लिये फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के सौदे की न्यायालय की निगरानी में जांच के लिये दायर याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई पूरी कर ली। न्यायालय अपना आदेश बाद में सुनायेगा।     

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसफ की तीन सदस्यीय पीठ ने इन याचिकाओं पर विभिन्न पक्षों के वकीलों की दलीलें सुनी।      
न्यायालय में दायर याचिकाओं में राफेल लड़ाकू विमान सौदे में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुये इसमें प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।       
ये याचिकायें अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा, विनीत ढांडा और आप पार्टी के सांसद संजय सिंह ने दायर की हैं। इनके अलावा भाजपा के दो नेताओं और पूर्व मंत्रियों यशवंत सिन्हा, अरूण शौरी और अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने संयुक्त याचिका दायर की है। 

इससे पहले प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘हमें यह निर्णय लेना होगा कि क्या कीमतों के तथ्यों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए या नहीं।’’  पीठ ने अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल से कहा कि तथ्यों को सार्वजनिक किये बगैर इसकी कीमतों पर किसी भी तरह की बहस का सवाल नहीं है।     

हालांकि, पीठ ने अटार्नी जनरल को स्पष्ट किया कि यदि वह महसूस करेगी कि ये तथ्य सार्वजिनक होने चाहिए, तभी इनकी कीमतों पर बहस के बारे में विचार किया जायेगा।      
केन्द्र की ओर से जब अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने बहस शुरू की तो पीठ ने 36 राफेल विमानों की खरीद के मामले में भारतीय वायु सेना के किसी अधिकारी से भी सहयोग का आग्रह किया है।     

पीठ ने कहा, ‘‘हम वायु सेना की जरूरतों पर विचार कर रहे हैं और हम राफेल विमान के बारे में वायु सेना के किसी अधिकारी से जानना चाहेंगे। हम इस मुद्दे पर रक्षा मंत्रालय के अधिकारी को नहीं बल्कि वायु सेना के अधिकारी को सुनना चाहते हैं।’’    

वेणुगोपाल ने कहा कि वायु सेना के एक अधिकारी कुछ मिनटों में ही यहां पहुंचने वाले हैं।   

अटार्नी जनरल ने बहस के दौरान राफेल विमानों की कीमतों से संबंधित गोपनीयता के प्रावधान का बचाव किया और कहा, ‘‘यदि कीमतों के बारे में सारी जानकारी सार्वजनिक कर दी गयी तो हमारे शत्रु इसका लाभ ले सकते हैं।      

विमानों की कीमतों के विवरण का खुलासा करने से इंकार करते हुये वेणुगोपाल ने कहा कि कीमतों के मुद्दे पर वह न्यायालय की और अधिक मदद नहीं कर सकेंगे।   

 
अटार्नी जनरल ने कहा, ‘‘मैंने खुद भी इसका अवलोकन नहीं करने का निर्णय किया क्योंकि इसके लीक होने की स्थिति में मेरा कार्यालय इसके लिये जिम्मेदार होगा।’’ उन्होंने कहा कि यह विषय विशेषज्ञों के लिये है और, ‘‘हम लगातार कह रहे हैं कि इन विमानों की पूरी कीमत के बारे में संसद को भी नहीं बताया गया है।’’ उन्होंने कहा कि नवंबर, 2016 की विनिमय दर के आधार पर सिर्फ लड़ाकू विमान की कीमत 670 करोड़ थी।     

भारत ने अपनी वायु सेना को सुसज्जित करने की प्रक्रिया में उड़ान भरने के लिये तैयार अवस्था वाले 36 राफेल लड़ाकू विमान फ्रांस से खरीदने का समझौता किया था। इस सौदे की अनुमानित लागत 58,000 करोड़ रुपये है।     

वेणुगोपाल ने कहा कि पहले इन विमानों को जरूरी हथियार पण्राली से लैस नहीं किया जाना था और सरकार की आपत्ति इस तथ्य को लेकर ही है कि वह अंतर-सरकार समझौता और गोपनीयता के प्रावधान का उल्लंघन नहीं करना चाहती।

भाषा
नई दिल्ली


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