सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के उल्लंघन पर उठे सवाल

Last Updated 09 Nov 2018 05:49:40 AM IST

दिवाली के दौरान समूची दिल्ली से पटाखों के इस्तेमाल और बिक्री पर प्रतिबंध लगाने वाले उच्चतम न्यायालय के आदेश के उल्लंघन की सूचना मिलने के बाद इतनी अल्प अवधि में प्रतिबंध को लागू करने के बारे में बृहस्पतिवार को सवाल उठे।


सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के उल्लंघन पर उठे सवाल

विधि विशेषज्ञों ने कहा कि प्रदूषण से निपटने के महत्वाकांक्षी प्रयासों को नुकसान पहुंचाने वाले उल्लंघनों के लिये कानून लागू करने वाली एजेंसियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिये। विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि प्रतिबंधों को लागू किया जा सकता है। धुंध की मोटी चादर ने राष्ट्रीय राजधानी को अपनी गिरफ्त में ले लिया। अधिकारियों ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करके की गई आतिशबाजी की वजह से प्रदूषण का स्तर ‘गंभीर से अधिक आपात’ श्रेणी या स्वीकृत सीमा से 10 गुना अधिक हो गया।
विधि और पर्यावरण विशेषज्ञों ने कहा कि यद्यपि दिवाली पर कल रात आठ से 10 बजे की समय-सीमा का उल्लंघन करते हुए आतिशबाजी हुई, लेकिन उन्होंने कहा कि आदेश धीरे-धीरे लागू करने के लिए सही दिशा में थे और यह प्रदूषण नियंत्रण के मुद्दे पर नीति निर्माण के लिये माहौल बनाएगा।

विशेषज्ञों ने कहा कि हरित पटाखे छोड़ने के लिए 23 अक्टूबर को उच्चतम न्यायालय ने जो दो घंटे की समय-सीमा दी थी उसका पालन नहीं किये जाने के लिये कानून लागू करने वाली एजेंसियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी, राजीव धवन, अजीत सिन्हा और अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन की एक राय थी कि शीर्ष अदालत ने लागू किये जाने योग्य आदेश दिया है और अधिकारियों तथा नागरिकों को इसे आगे बढ़ाना है। कुछ लोगों ने आलोचना की है कि त्योहारों के इस मौसम में आदेश को लागू करना व्यावहारिक नहीं है।
विशेषज्ञों ने कहा कि शीर्ष अदालत के निर्देश से आखिरकार प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों का निर्माण बंद होगा और अगली दिवाली पर कम प्रदूषण होगा क्योंकि हरित पटाखों की ही बिक्री होगी। हरित पटाखों से कम प्रकाश, कम ध्वनि निकलेगी और उनमें हानिकारक रसायन कम होंगे। शंकरनारायणन पटाखों पर प्रतिबंध की वकालत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी को छोड़कर आदेश का काफी हद तक पालन हुआ है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में आदेश को लागू करने में दिल्ली पुलिस विफल रही।

भाषा


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