शिक्षा का बाजारीकरण होगा खत्म
केंद्र सरकार नई शिक्षा नीति पर काम कर रही है और इस विषय पर गठित सलाहकार समिति 31 मार्च तक रिपोर्ट सौंप देगी.
केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह (file photo) |
केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि देश की नई शिक्षा नीति में क्षेत्रीय असमानता और शिक्षा के बाजारू स्वरूप को खत्म किया जाएगा. नई नीति में शिक्षा को सुलभ, सस्ता और लोगों की पहुंच के दायरे में लाने पर जोर दिया जाएगा, ताकि देश में ज्यादा से ज्यादा इंजीनियर, वैज्ञानिक, डॉक्टर पैदा किए जा सकें. इसके लिए विश्वस्तर की शिक्षा पद्धति तैयार की जाएगी.
मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने बताया कि रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद इस पर मंत्रालय में विचार विमर्श होगा और फिर समिति की सिफारिशों को कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि वर्तमान शिक्षा व्यवस्था औपनिवेशिक सोच का अनुसरण करती है. नई नीति में शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने पर विचार किया गया है ताकि उसे बदलते समय के अनुकूल बनाया जा सके. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति पर गहन चर्चा की गई है.
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2017 का मसौदा तैयार करने के लिए प्रख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिक एवं पद्मविभूषण डॉ. के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में 9 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है. पहले इस समिति की रिपोर्ट दिसम्बर 2017 में आने वाली थी. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बजट में शिक्षा की गुणवत्ता को स्कूली स्तर से उच्चतर स्तर तक बेहतर बनाने पर जोर दिया गया है. पहली बार शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए चार वर्षो में एक लाख करोड़ रुपए खर्च करने की बात कही गई है.
उन्होंने कहा कि नई नीति में प्रथामिक स्तर पर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, उच्च शिक्षा के खर्च को वहन करने में असमर्थता और ज्यादातर लोगों तक शिक्षा की पहुंच को सुनिश्चित करने जैसे मुद्दों को रखा गया है. सिंह ने बताया कि कौशल विकास एक बड़ा क्षेत्र है जहां सरकार ने जोर दिया है.
मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री ने कहा कि भारत में उच्च शिक्षा तक लोगों की पहुंच सिर्फ 25.6 प्रतिशत है जबकि अमेरिका में यह 86 प्रतिशत, जर्मनी में 80 प्रतिशत और चीन में 60 प्रतिशत है. उन्होंने कहा कि हमने इसे बढ़ाकर 30 प्रतिशत से अधिक करने का लक्ष्य रखा है.
सिंह ने कहा कि हमने कानून में संशोधन करते हुए शिक्षकों के प्रशिक्षण का मार्ग प्रशस्त किया है और अब 2019 तक शिक्षक प्रशिक्षित हो सकेंगे. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार उच्च शिक्षा संस्थानों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विकसित करने पर जोर दे रही है. इसी उद्देश्य के लिए 20 विश्वस्तरीय विश्वविद्यालयों की स्थापना की पहल को आगे बढ़ाया जा रहा है.
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