मोदी का दुनिया के निवेशकों को भारत में निवेश का आह्वान, संरक्षणवाद को लेकर जताई चिंता

Last Updated 23 Jan 2018 09:05:33 PM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दावोस में दुनिया की सबसे बडी आर्थिक पंचायत को संबोधित करते हुये कहा कि आज दुनिया में आतंकवाद, संरक्षणवाद और जलवायु परिवर्तन सबसे बडा खतरा हैं जिनसे दुनिया को एकजुट होकर निपटने की जरूरत है.


प्रधानमंत्री मोदी ने डब्ल्यूईएफ की बैठक को संबोधित किया.

विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की 48वीं सालाना बैठक का उद्घाटन करते हुये मोदी ने दुनियाभर के निवेशकों को भारत में निवेश का आह्वान किया. इस अवसर पर उन्होंने दुनिया के अनेक देशों में बढती संरक्षणवादी प्रवृति पर भी चिंता जाहिर की. डब्ल्यूईएफ की बैठक को संबोधित करने वाले मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं. इससे पहले 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एच डी देवेगौडा ने मंच की बैठक में शिरकत की थी.

मोदी ने कहा कि पिछले 20 सालों के दौरान दुनिया में काफी कुछ बदला है. उन्होंने अपने संबोधन में इन 20 सालों के दौरान प्रौद्योगिकी से लेकर दुनिया की सोच और पर्यावरण में आये बदलाव का जिक्र किया. उन्होंने आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और बढती संरक्षणवादी प्रवृति को दुनिया के लिये बडा खतरा बताया.

प्रधानमंत्री ने कहा, ''जिन चुनौतियों की ओर मैं इशारा कर रहा हूँ उनकी संख्या भी बहुत है और विस्तार भी व्यापक है. पर यहां मैं सिर्फ तीन प्रमुख चुनौतियों का जिक्र करुंगा जो मानव सभ्यता के लिए सबसे बडे खतरे पैदा कर रही हैं. पहला खतरा है जलवायु परिवर्तन का. ग्लेशियर पीछे हटते जा रहे हैं. आर्कटिक की बर्फ पिघलती जा रही है. बहुत से द्वीप डूब रहे हैं, या डूबने वाले हैं. बहुत गर्मी और बहुत ठंड, बेहद बारिश और बाढ- या बहुत सूखा इस तरह के चरमता की हद तक पहुंचे मौसम का प्रभाव दिन-ब-दिन बढ रहा है.''

दुनिया भर से यहां जुटे नेताओं, उद्योंगपतियों और नीतिनिर्माताओं को संबोधित करते हुये उन्होंने कहा, ''इन हालात में होना तो यह चाहिए था कि हम अपने सीमित संकुचित दायरों से निकलकर एकजुट हो जाते. लेकिन क्या ऐसा हुआ? और अगर नहीं, तो क्यों? और हम क्या कर सकते हैं जो इन हालात में सुधार हो. हर कोई कहता है की कार्बन उत्सर्जन कम करना चाहिए. लेकिन ऐसे कितने देश या लोग हैं जो विकासशील देशों और समाजों को उपयुक्त प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक संसाधन मुहैया कराने में मदद करना चाहते हैं.''

प्रधानमंत्री मोदी ने अपना भाषण हिन्दी में दिया. इस लंबे भाषण में उन्होंने वसुधैव कुटुम्बकम् के भारतीय दर्शन, प्रकृति के साथ गहरे तालमेल की भारतीय परम्परा और भारतीय उपनिषदों का जिक्र करते हुये दुनिया के देशों से मौजूदा चुनौतियों को पार पाने का मंत्र दिया.

उन्होंने कहा, ''आज पर्यावरण में व्याप्त भयंकर कुपरिणामों के इलाज का एक अचूक नुस्खा है - प्राचीन भारतीय दर्शन का मानव और प्रकृति के बीच सामंजस्य. यही नहीं, इस दर्शन से जन्मी योग और आयुर्वेद जैसी भारतीय परम्पराओं की समग्र पद्धति न सिर्फ परिवेश और हमारे बीच की दरांरों को पाटी सकती है, बल्कि हमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य और संतुलन भी प्रदान करती है.''

उन्होंने वातावरण को बचाने और जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिये अपनी सरकार की पहल के बारे में भी बताया. ''एक बहुत बडा लक्ष्य मेरी सरकार ने देश के सामने रखा है. सन् 2022 तक हमें भारत में 175 गीगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन करना है. पिछले करीब तीन वर्षों में 60 गीगावाट, यानी इस लक्ष्य का एक तिहाई से भी अधिक हम प्राप्त कर चुके हैं.''

उन्होंने कहा कि इसी संदर्भ में 2016 में भारत और फ्रांस ने मिलकर एक नई अंतर्राष्ट्रीय संधि संगठन की कल्पना की. अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन नामक क्रांतिकारी कदम अब एक सफल प्रयोग में बदल गया है. अब एक वास्तविकता है. मुझे बेहद खुशी है कि इस वर्ष मार्च में फ्रांस के राष्ट्रपति और मेरे संयुक्त निमंत्रण पर इस गठबंधन के सदस्य देशों के तमाम नेता नई दिल्ली में होने वाले सम्मेलन में भाग लेंगे.

मोदी ने कहा, ''दूसरी बडी चुनौती है आतंकवाद. इस संबंध मेँ भारत की चिंताओं और विश्वभर में पूरी मानवता के लिए इस गम्भीर खतरे के बढते और बदलते हुए स्वरूप से आप भली-भांति परिचित हैं. मैं यहाँ सिर्फ दो आयामों पर आपका ध्यान खींचना चाहता हूँ. आतंकवाद जितना खतरनाक है उससे भी खतरनाक है अच्छा आतंकवाद और खराब आतंकवाद के बीच बनाया गया कृत्रिम भेद. दूसरा समकालीन गंभीर पहलू जिसपर मैं आपका ध्यान चाहता हूँ वह है पढे-लिखे और सम्पन्न युवाओं का कट्टरपंथी होकर आतंकवाद में लिप्त होना. मुझे आशा है कि इस फोरम में आतंकवाद और हिंसा की दरारों से हमारे सामने उत्पन्न गंभीर चुनौतियों पर और उनके समाधान पर चर्चा होगी.''

प्रधानमंत्री ने तीसरी गंभीर चुनौती के रूप में संरक्षणवाद का जिक्र किया. उन्होंने कहा, बहुत से समाज और देश ज्यादा से ज्यादा आत्मकेन्द्रित होते जा रहे हैं. ऐसा लगता है कि वैश्वीकरण अपने नाम के विपरीत सिकुडता जा रहा है. उन्होंने कहा, ''इस प्रकार की मनोवृत्तियों और गलत प्राथमिकताओं के दुष्परिणाम को जलवायु परिवर्तन या आतंकवाद के खतरे से कम नहीं आंका जा सकता.'' 

मोदी ने कहा कि हर कोई आपस में जुडे विश्व की बात करता है लेकिन वैश्वीकरण की चमक कम हो रही है.


मोदी ने कहा, ''वैश्वीकरण के विपरीत संरक्षणवादी ताकतें सर उठा रहीं हैं. उनकी मंशा है कि न सिर्फ वे खुद वैश्वीकरण से बचें बल्कि वैश्वीकरण के प्राकृतिक प्रवाह का रुख भी पलट दें.  इसका एक परिणाम यह है कि नये-नये प्रकार के शुल्क और गैर-शुल्कीय प्रतिबंध देखने को मिल रहे हैं. द्विपक्षीय और बहुपक्षीय व्यापार समझौते और वार्ताएं रुक से गये हैं. सीमापार वित्तीय निवेश में ज्यादातर देशों में कमी आई है और वैश्विक आपूर्ति श्रंखला की वृद्धि भी रुक गयी है.''  



प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समस्या का समाधान परिवर्तन को समझने और उसे स्वीकारने में है, बदलते हुए समय के साथ चुस्त और लचीली नीतियां बनाने में है. उन्होंने कहा, ''भारत और भारतीयों ने पूरे विश्व को एक परिवार माना है. विभिन्न देशों में भारतीय मूल के तीन करोड लोग रह रहे हैं. जब हमने पूरी दुनिया को अपना परिवार माना है, तो दुनिया के लिए भी हम भारतीय उनका परिवार हैं.''

दुनियाभर के निवेशकों का भारत में निवेश के लिये आह्वान करते हुये उन्होंने कहा,  ''मैं आप सबका आह्वान करता हूं कि अगर आप वेल्थ के साथ वैलनेस चाहते हैं,  तो भारत में काम करें. अगर आप स्वास्थ्य के साथ जीवन की समग्रता चाहते हैं तो भारत में आयें. अगर आप समृद्धि के साथ शांति चाहते हैं तो भारत में रहें. आप भारत आएं, भारत में हमेशा आपका स्वागत होगा.''

प्रधानमंत्री ने कहा आज भारत में निवेश करना, भारत की यात्रा करना, भारत में काम करना, भारत में विनिर्माण करना  और भारत से अपने उत्पादों सवं सेवाओं को दुनिया भर में निर्यात करना, सभी कुछ पहले की तुलना में बहुत आसान हो गया है. ''हमने लाइसेंस-परमिट राज को जड से खत्म करने का प्रण लिया है. लालफीताशाही हटा कर हम लाल कालीन बिछा रहे हैं. अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्र प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए खुल गए हैं. 90 प्रतिशत से अधिक में स्वमंजूरी मार्ग से निवेश सम्भव है. केंद्र एवं राज्य सरकारों ने मिल कर सैकडों सुधारों को आगे बढाया है. 1400 से अधिक ऐसे पुराने कानून, जो व्यावसाय में, प्रशासन में और आम इंसान के रोजमर्रा के जीवन में अडचनें डाल रहे थे, ऐसे पुराने कानूनों को हमने खत्म कर दिया है.''

उन्होंने जीएसटी लागू करने का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, ''70 साल के स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार देश में एक एकीकृत कर व्यवस्था वस्तु एवं सेवाकर (जीससटी) के रूप में लागू कर ली गई है. पारदर्शिता और जवाबदेही बढाने के लिए हम प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रहे हैं.''  अब भारत के लोग, भारत के युवा 2025 में 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के निर्माण में योगदान के लिए समर्थ हैं.

 

 

भाषा


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