मोदी ने शिमला में मॉल रोड पर कॉफी का लुत्फ उठाया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिमला के मॉल रोड स्थित द इंडियन कॉफी हाउस में बुधवार को कॉफी की चुस्की लेने का मौका हाथ से नहीं जाने दिया. उन्होंने उन दिनों को याद किया जब वह यहां अपने पत्रकार दोस्तों के साथ समय गुजारने आते थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिमला में मॉल रोड पर कॉफी का लुत्फ उठाया. |
मोदी जब हवाईपट्टी की ओर बढ़ रहे थे, मॉल रोड स्थित प्रसिद्ध इंडियन कॉफी हाउस के सामने उनका कारवां ठहर गया. मोदी ने कॉफी हाउस के बाहर 10 मिनट का समय गुजारा और कॉफी का लुत्फ उठाया. यहां हजारों भाजपा कार्यकर्ता और अन्य लोग इस मौके पर इकट्ठा हो गए.
मोदी ने बाद में ट्वीट कर कहा, "शिमला में, इंडियन कॉफी हाउस में कॉफी पसंद आई और पुराने दिनों की याद ताजा हुई. कॉफी का स्वाद दो दशक पहले जितना ही अच्छा है, जब मैं पार्टी के काम से बार-बार हिमाचल जाता था."
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने 'शिमला के लोगों द्वारा भव्य स्वागत के लिए' शुक्रिया अदा किया.
इंडियन कॉफी हाउस के बाहर हाथों में मोबाइल लिए लोग मोदी के साथ सेल्फी लेने की कोशिश करते दिखे. इस कॉफी हाउस की स्थापना वर्ष 1943 में हुई थी.
प्रधानमंत्री यहां अपने कैबिनेट सहयोगियों और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ राज्य के नए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व 11 अन्य कैबिनेट मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने आए थे.
शिमला के इस प्रसिद्ध कॉफी हाउस में पहले भी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत कई हस्तियां कॉफी की चुस्की का मजा लेने आ चुकी हैं.
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई भी भारत में पढ़ाई के दौरान यहां आते रहे हैं.
मोदी ने अप्रैल में यहां की यात्रा के दौरान कहा था कि वह अपने पत्रकार दोस्तों के साथ राज्य के राजनीतिक हालात पर चर्चा के लिए कॉफी हाउस में समय बिताते थे.
मार्च 2000 में, तत्कालीन गृहमंत्री आडवाणी ने अपने पार्टी सहयोगियों के साथ यहां समय बिताया था. वह बाद में अगस्त 2009 में यहां गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी आए थे.
मोदी ने यहां अप्रैल में सार्वजनिक सभा में कहा था, "इंडियन कॉफी हाउस में, मैं अपने पत्रकार दोस्तों के साथ, राज्य की राजनीतिक परिस्थितियों के बारे में बात किया करता था."
हिमाचल में भाजपा के प्रभारी रहे मोदी ने हल्के-फुल्के लहजे में कहा था कि वह कभी भी कॉफी के पैसे नहीं देते थे. उनके पत्रकार दोस्त पैसे का भुगतान करते थे.
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