तीन तलाक पर जल्द कानून बने ताकि मुस्लिम महिलाएं खुली हवा में सांस ले सकें : सायरा बानू
मुस्लिम समाज में एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) की प्रथा के खिलाफ मुश्किल कानूनी लड़ाई को अंजाम तक ले जाने वाली सायरा बानू ने तीन तलाक को खत्म करने के लिए विधेयक लाने की सरकार की योजना पर खुशी जताई है.
फाइल फोटो |
उन्होंने कहा है कि सख्त कानून से ही मुस्लिम महिलाएं इस कुप्रथा से पूरी तरह आजादी हासिल कर सकती हैं और खुली हवा में सांस ले सकती हैं.
सायरा का यह भी कहना है कि 22 अगस्त को आए सुप्रीं कोर्ट के बड़े फैसले के बावजूद मुस्लिम समाज के अशिक्षित वर्ग की सोच में कोई बदलाव नजर नहीं आ रहा और वह इस फैसले को स्वीकार नहीं कर पा रहा है.
उनकी मांग है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार इस मामले पर जल्द कानून बनाएं ताकि मुस्लिम महिलाओं को इस कुप्रथा से पूरी तरह आजादी मिल सके.
सरकारी सूत्रों ने मंगलवार को कहा कि आगामी शीतकालीन सत्र में तीन तलाक को लेकर विधेयक लाने पर विचार चल रहा है और इस संदर्भ में एक मंत्री स्तरीय समिति का गठन भी किया गया है.
उत्तराखंड के काशीपुर की रहने वाली 35 साल की सायरा ने कहा, उच्चतम न्यायालय के फैसले से ही मुद्दा खत्म नहीं हो जाता.
तीन तलाक और मुस्लिम महिलाओं को परेशान करने वाले दूसरे मुद्दों के समाधान के लिए सख्त कानून की जरूरत है. मेरी यह मांग है कि सरकार जल्द कानून बनाए ताकि मुस्लिम महिलाएं खुली हवा में सांस ले सकें.
उन्होंने कहा, मैंने यह महसूस किया है कि मुस्लिम समाज का अशिक्षित तबका न्यायालय के फैसले को स्वीकार नहीं कर पा रहा है. उनको लगता है कि यह धार्मिक मामले में दखल है, जबकि ऐसा नहीं है. मुस्लिम महिलाएं वो हक मांग रही हैं जो उनको कुरान ने दिए हैं.
सायरा ने यह भी कहा, मुझे प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) और सरकार पर पूरा यकीन है. लेकिन यह कहना चाहती हूं कि कानून को लेकर देरी नहीं करें और किसी तरह के दबाव में भी नहीं आएं.
देश की शीर्ष अदालत ने 22 अगस्त को सायरा बानू के मामले में ही तीन तलाक की प्रथा को गैरकानूनी और असंवैधानिक करार दिया था.
सायरा को उनके पति ने 10 अक्तूबर, 2015 को स्पीड पोस्ट के जरिए तलाक दिया था. इसके बाद उन्होंने तीन तलाक के खिलाफ लड़ाई शुरू की. उनकी शादी 2002 में हुई थी और फिलहाल अपने दो बच्चों के संरक्षण के लिए वह कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं.
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