नोटबंदी: मनमोहन ने बताया संगठित लूट, जेटली बोले- आने वाली पीढ़ी गर्व करेगी

Last Updated 07 Nov 2017 03:14:16 PM IST

नोटबंदी के एक साल पूरा होने के मौके पर सरकार और विपक्ष एक-दूसरे पर हमलावर हैं. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नोटबंदी को बिना सोचा समझ कदम बताया है.


नोटबंदी के एक साल: जेटली-मनमोहन आमने-सामने

वहीं अरूण जेटली ने कहा कि नोटबंदी ने देश में स्वच्छ, पारदर्शितापूर्ण और ईमानदार वित्तीय प्रणाली प्रदान की है जिस पर आने वाली पीढ़ी गर्व करेगी.

मनमोहन सिंह ने आज अहमदाबाद में गुजरात के व्यवसायियों और कारोबारियों के साथ अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति पर चर्चा में कहा कि बड़े मूल्य नोटों को चलन से बाहर करने की एनडीए सरकार की कार्रवाई एक संगठित लूट और कानूनी डाका था. नोटबंदी का कोई लक्ष्य हासिल नहीं हो सका है.

राज्य में चुनावी माहौल के बीच सिंह ने जीएसटी को लागू करने को लेकर सरकार के निर्णय पर प्रहार करते हुए कहा कि जीएसटी अनुपालन की शर्तें छोटे कारोबारियों के लिए दु:स्वप्न की तरह हो गई हैं.

उन्होंने केंद्र सरकार अहमदाबाद-मुंबई बुलेट रेल परियोजना की भी आलोचना की और कहा कि यह एक दिखावा है.

सिंह की यात्रा कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी की सूरत यात्रा के एक दिन पूर्व हुई है. कल नोटबंदी की बरसी पर गांधी सूरत की यात्रा कर सकते हैं. पिछले साल आठ नवंबर को नोटबंदी की घोषणा एक साल पूरा होने पर विपक्षी दिलों ने काला दिवस मनाने की घोषणा की है.

'नोटबंदी के मिले सकारात्मक परिणाम'

वहीं नोटबंदी को भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास का महत्वपूर्ण क्षण बताते हुए वित्त मंत्री जेटली ने आज कहा कि नोटबंदी ने देश में स्वच्छ, पारदर्शितापूर्ण और ईमानदार वित्तीय प्रणाली प्रदान की है जिस पर आने वाली पीढ़ी गर्व करेगी.

नोटबंदी के एक वर्ष शीर्षक से अपने लेख में जेटली ने कहा कि आठ नवंबर को भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास में महत्वपूर्ण क्षणों के रूप में याद किया जायेगा. यह दिवस देश से कालाधन की गंभीर बीमारी के उपचार के इस सरकार के संकल्प को प्रदर्शित करता है. हम भारतीयों को भष्टाचार और कालाधन के संदर्भ में चलता है की भावना के साथ रहने को मजबूर कर दिया गया था और इस व्यवहार का प्रभाव मध्यम वर्ग और समाज के निचले तबके के लोगों को भुगतना पड़ रहा था.

उन्होंने कहा कि समाज के एक बड़े तबके के भीतर लम्बे समय से यह तीव्र इच्छा थी कि हमारे समाज को भष्टाचार और कालाधन के अभिशाप से मुक्त किया जाए. और इसी इच्छा के परिणामस्वरूप लोगों ने मई 2014 में जनादेश दिया.

जेटली ने अपने लेख में लिखा कि मई 2014 में सत्ता संभालने के बाद इस सरकार ने कालाधन की बुराई से निपटने की लोगों की इच्छा को पूरा करने का निर्णय किया और कालाधन के मामले पर एसआईटी का गठन किया. हमारा देश इस बात से वाकिफ है कि किस प्रकार पूर्व की सरकार ने वर्षों तक सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को नजरंदाज किया था. उस समय की सरकार की कालाधन के खिलाफ लड़ाई के संदर्भ में इच्छा शक्ति की कमी का एक और उदाहरण 28 वर्षों तक बेनामी सम्पत्ति अधिनियम को लागू करने में देरी करना था.     

वित्त मंत्री ने कहा कि इस सरकार ने निर्णय किया और कालाधन के खिलाफ लड़ाई के उद्देश्यों को पूरा करने के लिये तीन वर्षों में सुविचारित और सुनियोजित तरीके से निर्णय किया और कानून के पूर्व के प्रावधानों को लागू किया. एसआईटी के गठन से विदेशी सम्पत्ति के संदर्भ में जरूरी कानून पारित कराने से लेकर नोटबंदी और जीएसटी को लागू करने का निर्णय इसी दिशा में उठाया गया कदम है.  

उन्होंने कहा कि जब देश कालाधन विरोधी दिवस मना रहा है, तब एक बहस शुरू हो गई है कि क्या नोटबंदी की कवायद अपने उद्देश्यों को पूरा कर सकी. इस संदर्भ में नोटबंदी अल्पावधि और मध्यावधि में तय उद्देश्यों के संदर्भ में सकारात्मक परिणाम लाने वाला कदम रहा.

जेटली ने कहा कि सम्पूर्ण रूप से यह कहना गलत नहीं होगा कि नोटबंदी से देश स्वच्छ, पारदर्शितापूर्ण और ईमानदार वित्तीय प्रणाली की ओर बढ़ा है. कुछ लोगों को अभी तक इसके फायदे नहीं दिखे हैं. आने वाली पीढ़ी नवंबर 2016 के बाद के राष्ट्रीय आर्थिक विकास को गर्व की भावना के साथ देखेगी क्योंकि इसने उन्हें निष्पक्ष और ईमानदार व्यवस्था रहने के लिये प्रदान की है.
 

समयलाइव डेस्क/भाषा


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