केंद्र गंगा संरक्षण को विशेष कानून बनाए : उत्तराखंड हाईकोर्ट
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने केंद्र को गंगा संरक्षण के लिये विशेष कानून बनाने और गंगा के उद्गम स्थल गोमुख से लेकर गंगासागर तक पांच राज्यों के लिए तीन माह में अंतरराज्यीय परिषद गठित करने का आदेश दिया है.
केंद्र गंगा संरक्षण को विशेष कानून बनाए |
उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने वकील ललित मिगलानी द्वारा दायर याचिका पर दिए अपने आदेश में कैग को गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए जारी धन का आडिट कर राष्ट्रपति के समक्ष पेश करने को कहा है.
कोर्ट ने उत्तराखंड में एक जनवरी से प्लास्टिक के कैरी बैग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आदेश भी दिया है.
केंद्र सरकार गोमुख से लेकर गंगासागर तक पांच राज्यों, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल के लिए तीन माह के अंदर एक अन्तरराज्यीय परिषद का गठन करे.
अदालत ने केंद्र को नदी सरंक्षण केंद्र बनाकर निर्माण प्रतिबंधित करने तथा गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए नेशनल वाटर डेवलपमेंट एजेंसी और वाटर रिसरेसेज डेवलपमेंट काउंसिल का गठन करने का भी आदेश दिया है.
न्यायालय ने केंद्र सरकार को नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा के लिए तैयार की गयी 266 करोड. की डीपीआर को छह हफ्ते में स्टेट प्रोग्राम मैनेजमेंट ग्रुप को जारी करने के निर्देश दिए.
अदालत ने गंगा में सीधे डाले जा रहे अशोधित सीवर को लेकर आदेश दिया है कि नदी के किनारों के 500 मीटर के क्षेत्र में शौच करने वालों पर 5000 का जुर्माना लगाया जाएगा. ऐसा ही प्रतिबंध नदी में साबुन और शैंपू से नहाने या तेल का प्रयोग करने पर भी लगाया गया है.
अदालत ने हरिद्वार और ऋषिकेश नगर पालिका को अपने क्षेत्रों में ज्यादा शौचालय बनाने को भी कहा है.
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