पाक से 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' का दर्जा छीनेगा भारत? मोदी ने बुलाई अहम बैठक
उरी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ अपने कड़े रुख को बरकरार रखते हुए भारत पाकिस्तान को दिया गया 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' का दर्जा वापस छीनने की तैयारी में है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो) |
'मोस्ट फेवर्ड नेशन' या एमएफएन के दर्जे पर पनर्विचार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को शीर्ष अधिकारियों की बैठक बुलाई है. इसमें कई मंत्रियों के अलावा कई आला अधिकारी भी मौजूद रहेंगे.
उड़ी में सेना के बेस कैंप पर हमले और 18 जवानों की शहादत के बाद सरकार पर पाकिस्तान के साथ सख्ती से पेश आने का दबाव है. भारत इस हमले का जवाब देने के लिये विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रहा है. इस क्रम में सिंधु जल समझौते पर विचार के अलावा भारत पाकिस्तान से एमएफएन का दर्जा वापस छीनने पर भी पुनर्विचार करेगा.
अगर भारत पाक से एमएफन का दर्जा छीनता है तो व्यापार समेत कई अहम मसलों में पाकिस्तान को परेशानी उठानी पड़ सकती है.
एमएफएन की वजह से पाकिस्तान को अधिक आयात कोटा और कम ट्रेड टैरिफ मिलता है.
भारत ने 1996 में पाकिस्तान को 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' का दर्जा दिया था. यह दर्जा विश्व व्यापार संगठन के शुल्क एवं व्यापार सामान्य समझौते के तहत दिया गया.
भारत और पाकिस्तान दोनों ही इस संधि पर हस्ताक्षर करने वाले देश हैं. इस समझौते पर हस्ताक्षर करने का मतलब है कि दोनों ही देश एक दूसरे को तथा डब्ल्यूटीओ के अन्य सदस्य देशों के साथ अनुकूल व्यापारिक भागीदार की तरह व्यवहार करेंगे.
उद्योग मंडल एसोचैम के अनुसार वर्ष 2015-16 में भारत के 641 अरब डालर के कुल वस्तु व्यापार में पाकिस्तान का हिस्सा मात्र 2.67 अरब डालर का है. भारत से इस पड़ोसी देश को 2.17 अरब डालर का निर्यात किया जाता है जो कि कुल निर्यात कारोबार का मात्र 0.83 प्रतिशत है जबकि पाकिस्तान से होने वाला आयात 50 करोड़ डालर यानी कुल आयात का 0.13 प्रतिशत ही होता है.
प्रधानमंत्री ने सोमवार को 56 वर्ष पुरानी सिंधु जल संधि की समीक्षा की थी. समीक्षा बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया कि संधि के तहत भारत झेलम सहित पाकिस्तान नियंत्रित नदियों के अधिकतम पानी का इस्तेमाल करेगा.
सिंधु जल संधि की समीक्षा बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, अजीत डोभाल, विदेश सचिव एस. जयशंकर, जल संसाधन सचिव और प्रधानमंत्री कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे. बैठक में इस बात पर भी गौर किया गया कि सिंधु जल आयोग की बैठक आतंक मुक्त वातावरण में ही हो सकती है.
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