कंचनजंगा को यूनेस्को की मान्यता मिलने से सिक्किम में बढ़ेगा पर्यटन
Last Updated 31 Jul 2016 02:15:27 PM IST
कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान को हाल ही में यूनेस्को की ओर से भारत का पहला मिश्रित विश्व धरोहर घोषित किये जाने से सिक्किम में पर्यटन को बढ़ावा मिलने की संभावनाएं बढ़ गयी हैं.
कंचनजंगा पार्क (फाइल फोटो) |
सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग ने एक बयान में कहा कि अपने सौंदर्य और भव्यता के लिए मशहूर कंचनजंगा प्रकृति और सांस्कृतिक विरासत के बीच अद्वितीय परंपरागत कड़ी को झलकाता है.
कम आबादी वाले सिक्किम राज्य को इसकी पर्वतीय चोटियों, सुंदर घाटियों, पहाड़ियों, जंगलों और तेजी से बहती नदियों के लिए जाना जाता और ये सब इसे पर्यटन का स्वर्ग बनाते हैं.
चामलिंग ने कहा, "यूनेस्को की मान्यता के साथ आने वाले दिनों में यह अनोखा राष्ट्रीय उद्यान और अधिक घरेलू तथा विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करेगा."
इस पर्वत श्रृंखला के साथ कई पौराणिक कहानियां जुड़ी हुई हैं और यहां बड़ी संख्या में नदियां, गुफाएं और झीलें हैं जिनकी सिक्किम के स्थानीय लोग पूजा करते हैं. इन कहानियों और परंपराओं के पवित्र अर्थ बौद्ध आस्थाओं में छिपे हुए हैं और ये सिक्किम की मौलिक पहचान भी हैं
सिक्किम पूरी तरह पर्वतीय राज्य है जिसका एक तिहाई क्षेत्र 3000 मीटर की ऊंचाई पर है. भारत की सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला कंचनजंगा 8586 मीटर की ऊंचाई पर है और दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला है.
चामलिंग ने कहा, "देश में सर्वाधिक 47 प्रतिशत वन्य क्षेत्र के साथ सिक्किम पूरे पूर्वोत्तर में पर्यटकों की सबसे पसंदीदा जगह है और पिछले दस साल में यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या दोगुनी हो गयी है." इसके साथ ही उन्होंने बताया कि, "राज्य ने 2025 तक करीब 12 लाख पर्यटकों के आने का लक्ष्य निर्धारित किया है."
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