इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू : राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने देखी नौसेना की समुद्री ताकत
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने शनिवार को विशाखापत्तनम में बंगाल की खाड़ी में इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू में भारतीय नौसेना के जहाजी बेड़े का मुआयना किया और इसकी समुद्री ताकत और सामर्थ्य की झलक देखी.
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने देखी नौसेना की समुद्री ताकत |
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में हुए शक्ति प्रदर्शन में अमेरिका, चीन, फ्रांस और जापान जैसे शक्तिशाली देशों सहित 50 से भी अधिक नौसेनाओं ने हिस्सा लिया.
भारतीय नौसेना ने अपने इतिहास में दूसरी बार इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू (आईएफआर) का आयोजन किया है. इससे पहले वर्ष 2001 में मुंबई में आईएफआर का आयोजन किया गया था. भारतीय नौसेना का पहला बेड़ा निरीक्षण वर्ष 1953 में हुआ था और अब तक दस निरीक्षण हो चुके हैं और यह 11वां बेड़ा निरीक्षण है.
भारतीय नौसेना के प्रमुख पोत आईएनएस सुमित्रा पर सवार तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को जहाजी बेड़े की ओर से 21 तोपों की सलामी दी गई. मुखर्जी के साथ मोदी, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और तीनों सेनाओं के प्रमुख भी आईएनएस सुमित्रा पर मौजूद थे. इसके साथ ही कई केन्द्रीय मंत्री, दस राज्यों के मुख्यमंत्री और तीनों सेनाओं के रिटार्यड चीफ भी मौजूद रहे.
प्रत्येक राष्ट्रपति अपने कार्यकाल में एक बार जहाजी बेड़े की समीक्षा करता है. समीक्षा में भारत के सभी प्रमुख पोतों सहित दोनों विमानवाहक पोत आईएनएस विराट और आईएनएस विक्रमादित्य भी शामिल रहे.
भारत के पूर्वी तट पर पहली बार आईएफआर का आयोजन किया गया है. इसमें 36 देशों के युद्धपोतों, 24 देशों के नौसेना प्रमुख और अन्य के प्रतिनिधिमंडल ने भाग लिया. भारत और विदेशों के 100 पोतों ने आईएफआर में भाग लिया. पचास नौसेनाओं के आईएफआर में भाग लेने से भारत के दुनिया में बढ़ते सामर्थ और दूसरे देशों की नौसेनाओं के साथ मित्रता और तालमेल का पता चलता है.
इस आयोजन का सबसे बड़ा आकर्षण चीन की नौसेना है जो पहली बार भारतीय नौसेना के साथ शामिल हो रही है. इसमें चीन ने अपने दो युद्धपोत भेजे हैं. पाकिस्तान की नौसेना को भी निमंत्रण भेजा गया था लेकिन उसने इसमें भाग नहीं लिया. इसके अलावा भारत के सभी पड़ोसी देश आईएफआर में शामिल हुए.
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