मां सर्वश्रेष्ठ शिक्षक : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी

Last Updated 05 Sep 2015 05:33:26 AM IST

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी सभी सफलताओं का श्रेय अपनी मां को दिया है. बचपन की यादें ताजा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि वह \'बेमिसाल शरारती लड़के\' थे, जो अपनी मां को परेशान किया करता था.


मां सर्वश्रेष्ठ शिक्षक : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी

प्रणब ने राष्ट्रपति भवन परिसर स्थित एक स्कूल में 11वीं और 12वीं कक्षा के बच्चों से कहा, \'मेरी सर्वश्रेष्ठ शिक्षक मेरी मां थीं. जैसा कि मैंने कहा है कि मैं बेमिसाल शरारती था. मैं अपनी मां के लिए एक परेशानी था. दिनभर की शरारत और अन्य चीजों के बाद उनसे मुझे अच्छी-खासी पिटाई खानी पड़ती.\' उन्होंने कहा कि और उसके बाद वह आतीं और मुझे प्यार से दुलारतीं तथा पूछतीं कि मैंने सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक क्या काम किया है, जिसे मैं क्रमिक ढंग से बताता.

शिक्षक दिवस से एक दिन पूर्व शिक्षक की भूमिका में नजर आए प्रणब ने कहा कि माताएं सर्वश्रेष्ठ शिक्षक होती हैं. उनकी बातों को भाव-विभोर होकर सुन रहे डॉ. राजेंद्र प्रसाद सर्वोदय विद्यालय के छात्रों से उन्होंने कहा, \'मुझे आपको बताना चाहिए कि आपकी मां सर्वश्रेष्ठ शिक्षक हैं.\' राष्ट्रपति ने कहा कि वह अपने गांव के उन लड़कों के साथ रहते थे जो गाय चराने जाते थे और जो खेलते थे.

उन्होंने कहा, \'लेकिन जैसे ही सूरज छिपता, मैं तुरंत घर भागता था क्योंकि गांव का लड़का होने के बावजूद मुझे अंधेरे से बहुत डर लगता था.\' राष्ट्रपति ने छात्रों के ठहाकों के बीच कहा कि मैं एक शरारती लड़का था. मैं लगातार अपनी मां को परेशान करता रहता था. मुझे यकीन है कि आप में से कोई भी इतना शरारती नहीं रहा होगा.

भारत के राजनीतिक इतिहास पर अपनी एक घंटे की क्लास में राष्ट्रपति ने कहा कि आज मैं कोई मंत्री या राष्ट्रपति नहीं हूं. मैं केवल आपका मुखर्जी सर हूं. प्रणब ने कहा कि वह मेधावी छात्र नहीं थे. \'मैं महज एक औसत छात्र था. मुझे अपने स्कूल के लिए पांच किलोमीटर चलना पड़ता था और मैं दूरी के बारे में अपनी मां से शिकायत करता था.\'

उन्होंने कहा, \'वह मुझे बताती थीं कि उनके पास कोई विकल्प नहीं है और हमेशा मुझे कठिन परिश्रम की सलाह देतीं.\' अपने कॉलेज के प्राचार्य को याद करते हुए प्रणब ने कहा कि वह एक अच्छे वक्ता थे जिन्होंने इतिहास और अंग्रेजी में मेरी रुचि सुनिश्चित की. उन्होंने कहा कि जूलियस सीजर का वर्णन करते समय हमारे शिक्षक ब्रूटस (जिसने सीजर का कत्ल किया), एंटोनी और सीजर की भूमिका निभाया करते थे. राष्ट्रपति ने कहा कि यह इतने सुंदर तरीके से किया गया कि अगले दो वर्षो में मैंने विलियम शेक्सपीयर की आधी किताबें पढ़ लीं.

कक्षा आयोजन का विचार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का था और आज का कार्यक्रम दिल्ली सरकार के कार्यक्रम \'बी ए टीचर\' का हिस्सा था जहां कला, संस्कृति, खेल, कारोबार, राजनीति और नागरिक सेवाओं जैसे विभिन्न तबकों से ताल्लुक रखने वाली हस्तियां क्लास लेती हैं और छात्रों को जीवन में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए प्रेरित करती हैं.



मीडिया-सिविल सोसायटी को प्रणब ने सराहा

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को सिविल सोसायटी और गैर सरकारी संगठनों की प्रशंसा करते हुए उन्हें लोकतंत्र का चौथा महत्वपूर्ण स्तंभ करार दिया. राष्ट्रपति भवन परिसर में स्थित एक विद्यालय में विद्यार्थियों को पढ़ाते हुए मुखर्जी ने 1990 के दशक की शुरुआत में देश में आर्थिक उदारवाद लाने के लिए पूर्व प्रधानमंत्रियों पीवी नरसिंह राव और मनमोहन सिंह की सराहना भी की. राष्ट्रपति ने 2010-11 में एक मजबूत जन लोकपाल विधेयक की मांग को लेकर अन्ना हजारे के नेतृत्व में चलाए गए सिविल सोसायटी के आंदोलन का भी जिक्र किया और कहा कि देश का संविधान विचारों की अभिव्यक्ति की पर्याप्त गुंजाइश देता है. उन्होंने कहा, \'हमारे संविधान में तीन महत्वपूर्ण स्तंभ हैं-विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका. मैं जिस चौथे अंग के बारे में बात कर रहा हूं उसमें मीडिया, एनजीओ समेत सिविल सोसायटी तथा सारे सार्वजनिक विचार हैं, जो बन रहे हैं.\' मुखर्जी ने सोशल नेटवर्किग वेबसाइटों ट्विटर और फेसबुक को लोक विचार बनाने और पहुंचाने का शक्तिशाली औजार करार दिया. उन्होंने सार्वजनिक राय व्यक्त करने के नए तरीकों का जिक्र करते हुए कहा, \'ये सभी उचित स्वस्थ लोकतांत्रिक विकास की शाखाएं और परिणाम हैं. और यह भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था का योगदान है.\'



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