भारत-आस्ट्रेलिया ने रक्षा साझेदारी को बढ़ाने का निर्णय किया
भारत और आस्ट्रेलिया ने बुधवार की रात विभिन्न पहलों के जरिये अपने द्विपक्षीय रक्षा साझेदारी को और गहरा करने का निर्णय किया.
भारत के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और आस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्री केविन एंड्रयूज |
जिसमें रक्षा अनुसंधान एवं सामग्री सहयोग पर एक रक्षा अनुसंधान संयुक्त समूह गठित करना और हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा संबंधों पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है.
यह भी निर्णय किया गया कि भारत आस्ट्रेलिया के साथ पहली बार वायु अभ्यास में हिस्सा लेगा.
यह पहली बार आयोजित होने द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास के अतिरिक्त है जो इस महीने बाद में होना है.
यह निर्णय भारत की यात्रा पर आये आस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्री केविन एंड्रयूज और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तरीय वार्ता के बाद हुआ.
यहां जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया, ‘‘हिंद महासागर में दोनों देशों के हितों को ध्यान में रखते हुए और क्षेत्रीय एवं वैश्विक व्यापार में उसके महत्वपूर्ण महत्व को देखते हुए मंत्रियों ने समुद्र नौवहन की स्वतंत्रता के महत्व को स्वीकार किया और इस पर सहमत हुए कि समुद्री सुरक्षा द्विपक्षीय रक्षा संबंध का एक प्रमुख घटक होना चाहिए.’’
मंत्रियों ने द्विपक्षीय रक्षा संबंध को और व्यापक और गहरा बनाने की इच्छा व्यक्त की जो कि साझा सामरिक हितों पर आधारित हो. दोनों ने इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और टोनी एबट के बीच 18 नवम्बर 2014 को सहमत ‘फ्रेमवर्क फार सिक्युरिटी कोआपरेशन’ में रेखांकित कार्ययोजना को क्रियान्वित करने की भी इच्छा जतायी.
दोनों मंत्रियों ने दोनों देशों की वायु सेनाओं को करीब लाने के लिए काम करने का भी फैसला किया. इनमें रायल आस्ट्रेलियन एयर फोर्स अभ्यास में भारतीय उपस्थिति शामिल है.
उन्होंने भारत और आस्ट्रेलिया की नौसेनाओं के बीच के संबंधों को बढ़ाने पर भी सहमति जतायी.
रायल आस्ट्रेलियन नेवी 2016 में इंडियन नेवी इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू में भी शामिल होगी.
दोनों देशों ने द्विवाषिर्क आधार पर आयोजित द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास को भी जारी रखने का फैसला किया.
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