आईएसआईएस की कैद से रिहा कर्नाटक के शिक्षक का बयान, हमसे सम्मानजनक व्यवहार किया गया
लीबिया में इस्लामिक स्टेट आतंकवादी समूह द्वारा अपहृत और उसके बाद रिहा हुए कर्नाटक के दो भारतीय शिक्षकों में से एक ने कहा कि अपहरणकर्ताओं ने उनसे सम्मानजनक व्यवहार किया और कैद में उन्हें यातना नहीं दी गई.
ISIS के चंगुल से छूटे लक्ष्मीकांत (फाइल फोटो) |
कर्नाटक के रायचूर जिले के निवासी लक्ष्मीकांत हैदराबाद के राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (आरजीआईए) पर पहुंचे.
लक्ष्मीकांत ने संवाददाताओं से कहा, \'\'..किसी ने हमें यातना नहीं दी..उन्होंने हमें नुकसान नहीं पहुंचाया..उन्होंने हमें सम्मान दिया.\'\'
लीबिया के सिरते विश्वविद्यालय में कार्यरत चार भारतीय शिक्षकों का 29 जुलाई को उस समय आईएसआईएस ने लीबिया में अपहरण कर लिया था जब वे त्रिपोली से भारत लौट रहे थे. इनमें से दो आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के हैं.
भारत सरकार ने 31 जुलाई को कहा था कि उसने उनमें से दो..लक्ष्मीकांत और विजय कुमार. को रिहा करा लिया है.
लक्ष्मीकांत ने कहा, \'\'(अपहरण के दौरान) हम चारों लोग साथ थे. उन्होंने मुझे और विजय कुमार को रिहा कर दिया. मुझे बताया गया है कि गोपीकृष्ण और बलराम सुरक्षित हैं. मैं उनसे अनुरोध कर रहा हूं कि उन्हें भी रिहा कर दिया जाए.\'\'
लक्ष्मीकांत को हवाई अड्डे पर लेने के लिए उनकी पत्नी प्रतिभा और परिवार के अन्य सदस्य पहुंचे थे. प्रतिभा ने कहा, \'\'हम बहुत प्रसन्न हैं और हमें भारत सरकार पर बहुत गर्व है. हम मीडिया और पारिवारिक मित्रों सहित सभी को धन्यवाद देते हैं.\'\'
विजय कुमार का परिवार कर्नाटक के कोलार जिले से है. लीबिया में सिरते विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर गोपीकृष्ण आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के तेक्काली के रहने वाले हैं जबकि उसी विविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर बलराम तेलंगाना के करीमनगर जिले के रहने वाले हैं.
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