भारत-बांग्लादेेश के बीच एंक्लेव का हस्तांतरण मध्यरात्रि से प्रभावी हुआ

Last Updated 01 Aug 2015 08:30:04 AM IST

भारत और बांग्लादेश के बीच 162 एंक्लेव की अदला-बदली का समझौता आज मध्यरात्रि से प्रभावी हो गया, रात में 12.01 बजते ही उत्साहित लोगों ने भारत का राष्ट्रीय ध्वज लहराना शुरू कर दिया.


भारत-बांग्लादेेश के बीच एंक्लेव का हस्तांतरण (फाइल फोटो)

भारत ने इसे ‘ऐतिहासिक दिवस’ बताया है जिस मौके पर उस जटिल मुद्दे का समाधान हुआ जो आजादी के बाद से लंबित पड़ा हुआ था.

इस मौके पर किसी आधिकारिक कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया, लेकिन ‘भारत बांग्लादेश एंक्लेव एक्सचेंज कोऑर्डिनेशन कमिटी’ नामक संगठन ने कूच बिहार के मासलदांगा एंक्लेव में आज रात एक समारोह का आयोजन किया.

दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘31 जुलाई भारत और बांग्लादेश दोनों के लिए ऐतिहासिक दिन होगा. इस दिन को उस जटिल मुद्दे का समाधान हुआ जो आजादी के बाद से लंबित था.’’

भारत ने जहां 51 एन्क्लेव बांग्लादेश को हस्तांतरित किए, वहीं पड़ोसी देश ने करीब 111 एन्क्लेवों को भारत को सौंपा है.

बांग्लादेश और भारत 1974 के एलबीए करार को लागू करेंगे और सितंबर, 2011 के प्रोटोकॉल को अगले 11 महीने में चरणबद्ध तरीके से लागू करेंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 6-7 जून, 2015 के ढाका दौरे के समय भूमि सीमा समझौते और प्रोटोकॉल को अंतिम रूप दिया गया था.

अब भारत और बांग्लादेश के एंक्लेव में रहने वाले लोगों को संबंधित देश की नागरिकता तथा नागरिक को मिलने वाली सभी सुविधाएं मिल सकेंगी.

एक अनुमान के मुताबिक बांग्लादेश में भारतीय एन्क्लेवों में करीब 37,000 लोग रह रहे हैं, वहीं भारत में बांग्लादेशी एन्क्लेवों में 14000 लोग रहते हैं.

भारत और बांग्लादेश के बीच कई एंक्लेव एक दूसरे को हस्तांतरित किए जाने की पूर्व संध्या पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज कहा कि यह दिन ऐतिहासिक और यादगार है.

ममता ने फेसबुक पोस्ट पर कहा, ‘‘आज ऐतिहासिक और यादगार दिन है.’’

भारत ने जहां 51 एन्क्लेव बांग्लादेश को हस्तांतरित कर रहा है, वहीं पड़ोसी देश 111 एन्क्लेवों को भारत को सौंप रहा है.

बांग्लादेश और भारत 1974 के एलबीए करार को लागू करेंगे और सितंबर, 2011 के प्रोटोकॉल को अगले 11 महीने में चरणबद्ध तरीके से लागू करेंगे.
 

 



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