सलमान की अपील पर सुनवाई शुरू, वकील ने कहा: सलमान नहीं चला रहा था गाड़ी

Last Updated 30 Jul 2015 09:25:10 PM IST

वर्ष 2002 के हिट एंड रन मामले में पांच साल की सजा के खिलाफ सलमान खान की अपील पर बंबई उच्च न्यायालय में सुनवाई शुरू हुई.


सलमान खान

सलमान के वकील ने दलील दी कि निचली अदालत ने यह फैसला सुनाकर गलती की है कि अभिनेता खुद कार चला रहा था.

सलमान को छह मई को सत्र अदालत ने 28 सितंबर 2002 को बांद्रा की एक दुकान में अपनी कार से टक्कर मारने के मामले में दोषी ठहराया था. इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हुई थी जबकि चार अन्य घायल हुए थे. अभिनेता को गैरइरादतन हत्या के मामले का दोषी पाते हुए अदालत ने उसे पांच साल के कारावास की सजा सुनाई थी.

न्यायमूर्ति एआर जोशी ने आज हादसे के चश्मदीद गवाह और सलमान के पुलिस अंगरक्षक रवींद्र पाटिल की मां सुशीलाबाई पाटिल द्वारा दायर इस्तक्षेप की अर्जी भी खारिज कर दी. पाटिल की वर्ष 2007 में सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी.

उन्होंने सलमान खान को पहले मजिस्ट्रेट की अदालत से और फिर उसकी अपील विचारार्थ स्वीकार होने के बाद उच्च न्यायालय द्वारा मंजूर जमानत रद्द करने की मांग की थी.

उन्होंने कहा था कि सलमान को जोधपुर में संज्ञेय अपराधों के लिए दो बार दोषी ठहराया गया है और उन्हें जमानत नहीं मिलनी चाहिए.

आवेदन में कहा गया कि सलमान को गैरइरादतन हत्या के लिए अधिकतम दस साल की सजा हो सकती है.

हालांकि अदालत ने याचिका स्वीकार करने से इंकार करते हुए कहा कि रवींद्र पाटिल को हादसे का पीड़ित नहीं कहा जा सकता.

एक अन्य घटनाक्रम के तहत, सलमान के वकील अमित देसाई के आवेदन पर न्यायाधीश ने मीडिया पर कुछ खास प्रतिबंध लगाए.

न्यायमूर्ति जोशी ने कहा कि मीडिया अदालती कार्यवाही तथा दलीलों पर टिप्पणियों की आडियो या वीडियो रिकार्डिंग नहीं कर सकता. मीडिया सिर्फ तथ्यों की रिपोर्टिंग करेगा.

देसाई ने दलील दी कि निचली अदालत ने सलमान के पक्ष में इस बात को गलत तरीके से खारिज किया कि वह नहीं बल्कि उनका चालक अशोक सिंह हादसे के वक्त कार चला रहा था. अभियोजन यह साबित करने में नाकाम रहा कि अभिनेता ने हादसे से पहले शराब पी थी.

अधिवक्ता देसाई ने कहा कि हादसे के समय कार में तीन गवाह पाटिल, गायक कमाल खान और अशोक सिंह (चालक) थे. लेकिन पुलिस ने केवल पाटिल के बयान पर भरोसा करना पसंद किया जबकि उसकी मौत हो चुकी है और इसलिए वह जिरह के लिए उपलब्ध नहीं था.

देसाई ने दलील दी कि पुलिस ने गाड़ी के वास्तविक चालक के बारे में गवाही के लिए अन्य चश्मदीदों को लाने का प्रयास नहीं किया. निचली अदालत ने बचाव पक्ष की यह दलील अस्वीकार कर दी थी कि अशोक सिंह गाड़ी चला रहा था.

इस मामले में पांच अगस्त को आगे की सुनवाई होगी.
 



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