नौकरशाह लॉबी लागू नहीं होने दे रही वन रैंक वन पेंशन

Last Updated 30 Jun 2015 06:50:46 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बार-बार आश्वासन देने के बावजूद पूर्व सैनिकों के लिए वन रैंक वन पेंशन योजना लागू नहीं होने के पीछे नौकरशाहों की लॉबी है.


नौकरशाह लॉबी नहीं होने दे रही वन रैंक वन पेंशन (फाइल फोटो)

नौकरशाह सरकार को उलझन में डाल रहे हैं कि पूर्व सैनिकों यह लाभ मिलने के बाद दूसरी सेवा के लोग भी ऐसी ही मांग करेंगे और सरकार को संभालना मुश्किल हो जाएगा.

सरकार की कोशिश है कि संसद के मानसून सत्र से पहले इस योजना को लागू कर दिया जाए.मजबूत इरादे वाले मोदी भी नौकरशाहों के सामने बेबस नजर आ रहे हैं. प्रधानमंत्री ने वित्त मंत्री और रक्षा मंत्री को निर्देश दिया कि इस योजना को जल्दी लागू करें, इससे उनकी किरकिरी हो रही है, लेकिन नौकरशाह उसमें किसी न किसी तरह का अड़ंगा देते हैं.

पहले तो सेना के अंदर ही मूछों की लड़ाई थी. सेना में प्रोटोकॉल निभाना अनुशासन का हिस्सा होता है. सेना में एक-एक दिन की वरिष्ठता को लेकर झगड़ा चल रहा था. वहां का मामला सुलझा तो आईएएस लॉबी ने अड़ंगा लगा दिया.

सूत्रों के अनुसार अधिकारियों का तर्क है कि ऐसी ही समस्या उनकी सर्विस में भी है. वन रैंक वन पेंशन को अभी लागू भी नहीं किया गया और हमें प्रस्ताव व ज्ञापन मिलने शुरू हो गए.

हालांकि सरकार व्यवस्था कर रही है कि वन रैंक वन पेंशन केवल सशस्त्र सैनिकों के लिए होगी. उसका फायदा किसी अन्य को नहीं मिलेगा. उसका नाम ही मिलिट्री पेंशन होगा.चुनाव से पूर्व यूपीए सरकार ने उनकी मांग स्वीकार करते हुए अंतरिम बजट में 500 करोड़ रपए का प्रावधान भी कर दिया था, लेकिन वास्तव में उस दिशा में काम ही नहीं हुआ.

भाजपा ने भी लोकसभा चुनाव में वन रैंक वन पेंशन को बड़ा मुद्दा बनाया था. सरकार में आने के बाद पहले बजट में मोदी सरकार ने यूपीए के 500 करोड़ रपए के टोकन धन को बढ़ाकर 1000 करोड़ कर दिया था.

पिछले पांच-छह माह की मेहनत के बाद रक्षा मंत्रालय ने और वित्त मंत्रालय ने उन बारीक पेचीदगियों को भी दूर कर लिया है.

दरअसल तीनों सेनाओं में बहुत से पद और उनके कार्यावधि की पेचीदगियां हैं. मसलन दो अधिकारियों में यह अंतर संभव है कि वह एक ही पद पर कितने समय तक रहा है. वह अंतर उसकी पेंशन पर भी पड़ेगा. इस तरह की बहुत से पेचीदा सवाल थे, जिनका उत्तर ढूंढने में कई दिनों से काम चल रहा था. आखिर वह काम पूरा हो गया है.

सूत्रों का कहना है कि छठे वेतन आयोग के बैकलॉग को पूरा करने के लिए रक्षा मंत्रालय ने 8 से 10 हजार करोड़ रपए का अनुमान लगया है, यदि जरूरत पड़ेगी तो और राशि भी दी जाएगी. इस राशि पर मंजूरी रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर और वित्त मंत्री अरुण जेटली के बीच चली अनेक दौर के बैठकों के बाद संभव हुआ है.

जेटली शुरुआत में रक्षा मंत्री भी थे, इसलिए उन्हें इस मसले को समझने में आसानी हुई.

रोशन
एसएनबी


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment