प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा 'बुद्ध से मिलेगी युद्ध से मुक्ति'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि युद्ध, हिंसा और तनाव से जूझ रहे विश्व समुदाय को इनसे निजात पाने के उपाय भगवान बुद्ध के जीवन और उनकी शिक्षाओं में मिल सकते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा 'बुद्ध से मिलेगी युद्ध से मुक्ति' |
प्रधानमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय बुद्ध पूर्णिमा दिवस पर आयोजित एक समारोह में कहा कि हजारों साल पहले भगवान बुद्ध का करूणा का संदेश और अष्टांग वर्तमान समय में भी प्रासंगिक है और इनको जीवन में उतार कर हिंसा और तनाव से निपटा जा सकता है. उन्होंने कहा, अगर युद्ध से मुक्ति चाहिए तो बुद्ध से मिलेगी.’’
श्री मोदी ने कहा कि पूरा विश्व मानता है कि 21 वीं सदी एशिया की होगी लेकिन यह भगवान बुद्ध के बिना संभव नहीं है. उन्होंने कहा, भगवान बुद्ध के बिना 21 सदी का एशिया की सदी होना संभव नहीं है. उनकी शिक्षाएं और जीवन इसके लिए प्रेरणा और पथप्रदर्शक बनेंगी.’’ उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध के संदेश से दुनिया को ¨हसा और नफरत से मुक्ति दिलाई जा सकती है.
नेपाल में भूकंप त्रासदी का जिक्र करते हुए श्री मोदी ने कहा कि यह भगवान बुद्ध की करूणा के संदेश का प्रभाव है कि भारत नेपाली लोगों के दुख में सहभागी है और उनके जल्दी से जल्दी से कष्ट निवारण के लिए प्रार्थना करता है.
प्रधानमंत्री ने कहा, भगवान बुद्ध राजपरिवार में पैदा हुए, युद्धकला में पारंगत थे. उनके पास सत्ता-संपत्ति सब कुछ थी. लेकिन उन्होंने दुनिया को बताया कि ‘‘कुछ और भी आवश्यक है. इन सबके परे भी कुछ है. कितनी गहरी आस्था और कितना साहस था कि सब कुछ एक पल में छोड़ दिया. यह बताता है कि इन सबसे परे भी कोई शक्ति है, जो मानव के काम आएगी.’’
उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध के भीतर की करूणा उनके रोम रोम में परिलक्षित होती है.
अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि भगवान बुद्ध के समय भी सामाजिक बुराइयां और भू-विस्तार सहज प्रवृत्ति बन गई थीं और ऐसे समय में उन्होंने त्याग, मर्यादा, करूणा, प्रेम और सामाजिक सुधार की बात की.
उन्होंने कहा कि जिन सामाजिक बुराइयों के मुद्दों पर हम आज भारत में चर्चा कर रहे हैं भगवान बुद्ध ने ढाई हजार साल पहले उन्हें दूर करने की मुहिम चलाई थी.
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज दुनिया यह स्वीकार कर चुकी है 21 वीं सदी एशिया की सदी होगी. इस बारे में मतभेद हो सकता है कि यह एशिया के किस देश की होगी. लेकिन एशिया की होगी इसे लेकर कोई दुविधा नहीं है. ‘‘लेकिन बुद्ध के बिना एशिया की 21 वीं सदी नहीं बन सकती है. बुद्ध की शिक्षा एशिया की प्रेरणा और मार्गदर्शक बनेगी.’’
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