जम्मू कश्मीर में सरकार गठन पर आरएसएस नेताओं से अमित शाह ने की बातचीत

Last Updated 19 Feb 2015 11:26:24 PM IST

भाजपा ने जम्मू कश्मीर में सरकार गठन के लिए अपने प्रयासों को गुरुवार को तेज कर दिया.


बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह आरएसएस मुख्यालय पहुंचे (फाइल फोटो)

पार्टी अध्यक्ष अमित शाह संघ के नेताओं को शांत करने के लिए आरएसएस मुख्यालय पहुंचे जबकि भगवा नेताओं का एक अन्य समूह मुफ्ती मोहम्मद सईद समेत पीडीपी नेताओं से संपर्क कर रहा है ताकि विवादास्पद आफस्पा का सौहार्दपूर्ण समाधान ढूंढ़ा जा सके.

पीडीपी प्रवक्ता नईम अख्तर ने बताया, ‘‘बातचीत जारी है और हमें उम्मीद है कि सकारात्मक परिणाम शीघ आएंगे.’’ घटनाक्रम से वाकिफ सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्ष विवादास्पद आफस्पा को वापस लेने पर समाधान तलाश रहे हैं.

पीडीपी कश्मीर घाटी और जम्मू क्षेत्र के कुछ इलाकों से आफस्पा को हटाने पर लिखित आासन मांग रही है. यह विचार पहले पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने रखा था. भाजपा ने हालांकि इस पर अपने पांव पीछे खींचने शुरू कर दिए हैं और साफ कर दिया कि वह अनुच्छेद 370 और आफस्पा जैसे मुद्दों पर अपने रख में नरमी नहीं लाएगी.

भाजपा सूत्रों ने बताया कि पीडीपी नेताओं के साथ बातचीत जारी है ताकि अहम मुद्दों पर मतभेदों को दूर किया जा सके और आम सहमति बनाई जा सके और इसे राज्य में प्रस्तावित गठबंधन सरकार के न्यूनतम साझा कार्यक्र म का हिस्सा बनाया जा सके.

अमित शाह आज सुबह आरएसएस के शीर्ष नेताओं से मिलने के लिए पहुंचे और ऐसा समझा जाता है कि उनके साथ इन अहम मुद्दों पर चर्चा की. यह बैठक आरएसएस के अनुच्छेद 370 और पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों को नागरिकता देने के मुद्दे पर भाजपा के रख में कथित तौर पर नरमी लाने का विरोध करने की पृष्ठभूमि में हुई है.

भाजपा और पीडीपी जम्मू कश्मीर में गठबंधन सरकार बनाने को उत्सुक हैं जहां विधानसभा में किसी भी पार्टी को स्पष्ट जनादेश नहीं मिला. इससे पहले दोनों पार्टियां 23 फरवरी से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र से पहले सरकार गठन चाहती थीं लेकिन अहम मुद्दों पर मतभेदों की वजह से इसमें विलंब हुआ है.

जहां पीडीपी 28 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी थी, वहीं भाजपा ने 87 सदस्यीय विधानसभा में 25 सीटों पर जीत हासिल की थी.

दोनों पार्टियों के नेता मतभेदों को दूर करने और न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार करने के लिए लगातार एक-दूसरे बातचीत कर रहे हैं.. नेता आफस्पा और अनुच्छेद 370 समेत कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर दोनों पार्टियों की विचारधाराओं के बीच मतभेद को भी स्वीकार कर रहे हैं.

भाजपा और पीडीपी के बीच लंबी खिंच रही बातचीत पर नेशनल कान्फ्रेंस की ओर से प्रतिक्रिया आई है. उसने दोनों पार्टियों से खुलकर सामने आने को कहा और कहा कि वे सुशासन के नाम पर लोगों को मूर्ख बनाना बंद करें.

पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट में कहा, ‘‘मुझे पूछना है कि पीडीपी, भाजपा रास चुनाव में एक-दूसरे का समर्थन करते हैं और फिर विधान परिषद सीटों के लिए इसे दोहराते हैं और उम्मीद करते हैं कि लोग विास करेंगे कि अब तक कोई गठबंधन नहीं हुआ है.’’



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