बैलिस्टिक मिसाइल ‘अग्नि-5’ ने भरी सफल उड़ान

Last Updated 31 Jan 2015 09:55:16 AM IST

भारत ने सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल ‘अग्नि पांच’ का सफल प्रायोगिक परीक्षण किया है.


अग्नि-5

यह मिसाइल परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम है. इसे ओडिशा तट के करीब व्हीलर द्वीप से छोड़ा गया.

इसकी मारक क्षमता 5000 किलोमीटर से ज्यादा है और यह एक टन से ज्यादा परमाणु आयुध ले जा सकती है.

एकीकृत परीक्षण रेंज के निदेशक एमवीकेवी प्रसाद ने बताया कि सुबह आठ बजकर छह मिनट पर आईटीआर में प्रक्षेपण परिसर-4 के मोबाइल प्रक्षेपक से ठोस प्रणोदक वाली मिसाइल का प्रक्षेपण किया गया.

प्रसाद ने बताया कि अग्नि-5 मिसाइल के कैनिस्टर संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया. मिसाइल का त्रुटिरहित स्वत: प्रक्षेपण हुआ और विभिन्न रडार और नेटवर्क प्रणालियों से सभी डेटा मिलने के बाद विस्तृत परिणाम आएंगे.

एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि द्वीपीय प्रक्षेपण स्थल से प्रक्षेपण के कुछ ही सेकेंड के भीतर हल्के नारंगी और सफेद रंग के धुएं की परत बनाती हुयी मिसाइल आसमान में नजरों से ओझल हो गयी.

लंबी दूरी की मारक क्षमता वाली मिसाइल का आज तीसरा प्रायोगिक परीक्षण था. पहला परीक्षण 19 अप्रैल 2012 को और दूसरा 15 सितंबर 2013 को इसी जगह से हुआ था.

स्वदेश में विकसित सतह से सतह पर मार करने में सक्षम अग्नि-5 की मारक क्षमता 5000 किलोमीटर से ज्यादा है. यह मिसाइल करीब 17 मीटर लंबी, दो मीटर चौड़ी तथा इसका वजन करीब 50 टन है. यह एक टन से ज्यादा परमाणु आयुध वहन कर सकती है.

प्रसाद ने बताया कि अग्नि श्रृंखला की अन्य मिसाइलों से अलग नवीनतम ‘अग्नि-5’ नेविगेशन और मार्गदर्शन, वारहेड और इंजन के मामले में कुछ नयी तकनीक से लैस है.

पहले अग्नि-5 प्रायोगिक परीक्षण में स्वदेश में विकसित कई नयी तकनीकों का इस्तेमाल हुआ है. परिष्कृत रिंग लेसर गायरो आधारित इनरशियल नेविगेशन सिस्टम और अत्याधुनिक माइक्रो नेविगेशन सिस्टम सुनिश्चित करता है कि मिसाइल बेहद सटीकता के साथ अपने लक्षित बिंदु को भेदे.

एक अधिकारी ने बताया कि हाई स्पीड ऑनबोर्ड कंप्यूटर और फॉल्ट टालरेंट सॉफ्टवेयर मिसाइल को त्रुटिरहित तरीके से आगे बढ़ने में मदद करते हैं.

भारत के पास अग्नि श्रृंखला के तहत 700 किलोमीटर मारक क्षमता वाली अग्नि-1, 2000 किलोमीटर रेंज की अग्नि-2 और 2500 से 3500 किलोमीटर तथा ज्यादा रेंज वाली अग्नि 3 और अग्नि 4 मिसाइल है. कुछ और प्रयोगों के बाद अग्नि-5 को सेवा में शामिल कर लिया जाएगा.


 

 



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