कुष्ठ रोग के प्रति ‘उदासीनता’ के लिये सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र और राज्यों को लगायी फटकार

Last Updated 28 Nov 2014 06:52:32 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने देश से कुष्ठ रोग के उन्मूलन के प्रति ‘उदासीनता’ के लिये केन्द्र और राज्यों को आड़े हाथ लिया.


सुप्रीम कोर्ट

न्यायालय ने कहा कि ‘साध्य’ बीमारी होने के बावजूद अभी भी इसे कलंक माना जाता है.

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति उदय ललित की खंडपीठ ने इस मामले में केन्द्र और कुछ राज्य सरकारों के वकीलों द्वारा जवाब दाखिल करने के लिये समय देने का अनुरोध किये जाने पर अप्रसन्नता व्यक्त की. न्यायालय ने पहले इस मामले में नोटिस जारी किये थे.

न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘हमने चार सप्ताह का समय दिया है. यह ऐसा मामला है जिसे प्राथमिकता के आधार पर लिया जाना चाहिए. आज की स्थिति में कुष्ठ रोग साध्य है लेकिन इसके बावजूद संबंधित प्राधिकारियों के उदासीन रवैये के कारण यह कलंक बना हुआ है.’’

न्यायालय ने केन्द्र और अन्य राज्यों को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुये कहा कि इसके बाद मामले की सुनवाई और स्थगित नहीं की जायेगी.

इससे पहले, न्यायालय ने वकील पंकज सिन्हा की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान इस बीमारी की स्थिति पर चिंता व्यक्त की थी. याचिका में आरोप लगाया गया था कि देश में हर साल करीब सवा लाख व्यक्ति कुष्ठ रोग से प्रभावित होते हैं.

सिन्हा का आरोप है कि 1981 से ही इस बीमारी के इलाज के लिए कुष्ठ रोग के विषाणुओं को 99 फीसदी तक खत्म करने की प्रभावी दवा उपलब्ध होने के बावजूद सरकार इसका उन्मूलन करने में विफल रही हैं.

याचिका में देश के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर कुष्ठ रोग की दवा उपलब्ध कराने और इस रोग से ग्रस्त व्यक्तियों को देश की मुख्य धारा में लाने के लिये उचित योजना तैयार करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.



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