पांच दिवसीय अमेरिका यात्रा से लौटे प्रधानमंत्री

Last Updated 02 Oct 2014 02:14:26 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘थैंक यू अमेरिका’ के साथ अपनी पांच दिन की अमेरिका यात्रा का समापन किया और इसे ‘बहुत सफल और संतोषजनक’ करार दिया.


बुधवार को स्वदेश लौटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पालम एयरपोर्ट पर स्वागत करते भाजपा नेता.

विश्लेषकों का कहना है कि पीएम अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ निजी रिश्ते बनाने और काफी हद तक द्विपक्षीय संबंधों को दुरुस्त करने में सफल रहे. दो दौर की वार्ता के बाद दोनों नेताओं की ओर से जारी संयुक्त बयान में दोनों देशों के बीच वृहद सामरिक और वैश्विक गठजोड़, साझा मूल्यों और सहयोग को मजबूत एवं गहरा बनाने की इच्छा व्यक्त की गई. प्रधानमंत्री बुधवार की रात स्वदेश लौट आए.

64 वर्षीय भारतीय नेता ने अपनी ऊर्जा और भारत में बदलाव लाने की अपनी घोषित प्रतिबद्धता के साथ मजबूत छाप छोड़ी. इस क्रम में उन्होंने रेलवे, रक्षा उत्पादन समेत अन्य क्षेत्रों में अमेरिका से निवेश और सहयोग मांगा. मोदी ने अमेरिकी उद्योगों से भारत में अपना आधार बनाने और इसका विस्तार करने का आग्रह किया, इससे पहले कि ‘देर हो जाए.’

कारोबार सुगम बनाएंगे

प्रधानमंत्री ने अमेरिका भारत कारोबार परिषद (यूएसआईबीसी) से कहा कि वह अगले छह महीने में भारत में कारोबार को सुगम बनाने के लिए सभी जरूरी चीजें लागू कर देंगे. यूएसआईबीसी ने मोदी को बताया कि उन्होंने अगले तीन वर्षों में अपने सदस्यों की ओर से भारत में 41 अरब डॉलर के निवेश की पहचान की है. बहरहाल, अमेरिकी मीडिया का मानना है कि भारतीय कराधान कानूनों, कारोबार एवं असैन्य परमाणु सहयोग जैसे जटिल मुद्दों को अभी सुलझाया जाना है, जिसने हाल के वषोर्ं में दोनों देशों को बांटने का काम किया है.

परमाणु करार में तेजी

दोनों पक्षों के बीच 2005 के असैन्य परमाणु करार को तेजी से लागू करने से जुड़े जवाबदेही और तकनीकी मुद्दों को सुलझाने के लिए अंतर एजेंसी संपर्क समूह गठित करने का निर्णय किया गया. असैन्य परमाणु करार पर पूर्व की मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के दौरान हस्ताक्षर किए गए थे. यह करार जवाबदेही से जुड़े मुद्दों के कारण आगे नहीं बढ़ पा रहा है क्योंकि अमेरिका के साथ परमाणु रिएक्टर की आपूर्ति करने वालों की यह शिकायत है कि यह विधान उनके खिलाफ है. मोदी की अमेरिका यात्रा की उपलब्धियों में 10 वर्ष के रक्षा सहयोग ढांचे का नवीकरण, नौवहन सहयोग समझौता और उच्च प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष और स्वास्थ्य सहयोग समेत कई अन्य पहल शामिल हैं.

आईएस के खिलाफ गठबंधन में नहीं

दोनों नेताओं ने दक्षिण एशिया में आतंकवाद और पश्चित एशिया में उभरते खतरों के बारे में चर्चा की लेकिन भारत ने स्पष्ट किया कि वह इस्लामिक स्टेट के खिलाफ जारी लड़ाई में ‘किसी गठबंधन’ में शामिल नहीं होगा. भारत ने हालांकि पश्चिम एशिया में आतंकी हमलों के लिए क्षेत्र की तरफ जाने वाले लोगों से जुड़े ‘अहम विषय’ से निपटने में अमेरिका के साथ मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की.

एनएसजी में भारत का समर्थन

वैश्विक अप्रसार और निर्यात नियंत्रण व्यवस्था के संबंध में महत्वपूर्ण कदम के तहत दोनों नेताओं ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी), मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था, वासेनार व्यवस्था और आस्ट्रेलिया समूह में भारत के चरणबद्ध प्रवेश के लिए प्रयास करने का संकल्प व्यक्त किया.  राष्ट्रपति ओबामा ने इस बात की पुष्टि की कि भारत मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था की जरूरतों को पूरा करता है और एनएसजी की सदस्यता के लिए तैयार है. उन्होंने चारों व्यवस्थाओं में भारत के शीघ्र आवेदन और फिर सदस्यता का समर्थन किया.



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