चाइना की राह पर भारत,बेटी बचाने के लिए हर गर्भ का होगा रजिस्ट्रेशन

Last Updated 20 Sep 2014 10:21:48 AM IST

परिवारों में लड़के की चाहत के चलते कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए सरकार ने इस बार अपनी तरीके का एक नया फार्मूला निकाला है.


अब हर गर्भ का होगा रजिस्ट्रेशन

इसके तहत अब प्रत्येक महिला को अपने गर्भ का पंजीकरण करवाना होगा और प्रसव होने तक गर्भ की देखभाल की जिम्मेदारी परिवार के साथ-साथ स्वास्थ्य एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं की होगी.

इस दौरान यदि महिला अपना गर्भपात करवाती है तो उससे पहले यह जांच होगी कि कहीं यह कन्या भ्रूण की वजह से तो नहीं करवाया जा रहा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाल किले की प्राचीर से ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ का नारा देने के बाद ही विशेषज्ञों ने यह फार्मूले की खोज की है जिसके तहत जैसे जन्म-मृत्यु का पंजीकरण अनिवार्य है ठीक उसी तरह अब ‘गर्भ’ का पंजीकरण भी अनिवार्य किया जाएगा. इसमें देरी करने वाली महिलाओं और उनके डॉक्टरों से जवाब तलब भी होगा.

गर्भ का पंजीकरण न्यूनतम दो माह और अधिकतम तीन माह के अंदर होगा. इस फार्मूले के तहत गर्भवती महिला का अल्ट्रासांउड करने वाली डॉक्टर और गर्भपात कराने वाली डॉक्टर की भी जवाबदेही तय होगी.

दरअसल अभी तक तमाम उपायों के बाद भी कन्या भ्रूण हत्या का खेल बंद नहीं हो पा रहा है. स्वास्थ्य मंत्रालय की सख्ती व कानून बनने के बाद भी देश में कन्या भ्रूण हत्या का सिलसिला जारी है.

डॉक्टर लाख मना करें, मगर लिंग अनुपात में अंतर इस बात का प्रमाण है कि स्त्री रोग विशेषज्ञ व अल्ट्रा साउंड करने वाली डॉक्टर की सांठगांठ से यह काम हो रहा है. चूंकि इसमें गर्भवती महिला व उसके परिवार की भी सहमति रहती है, इसलिए कानून के बाद भी कुछ नहीं हो रहा है.

सन 2011 में लिंग अनुपात यदि 927 था तो सन 2011 में यह अनुपात और गिर गया जिसके तहत एक हजार लड़कों के मुकाबले 918 लड़कियों का जन्म हो रहा है.

खराब स्थिति पर कोर्ट ने भी आपत्ति जताई थी. समय-समय पर अभियान भी चलाए गए और एक-दो डॉक्टरों को पकड़ा भी गया, मगर लिंग अनुपात में सुधार नहीं हुआ.

पहले सौ जिलों में लागू होगा पंजीकरण:

पंजीकरण फार्मूले को फिलहाल उन सौ जिलों में लागू किया जाएगा जहां पर लिंग अनुपात की स्थिति ज्यादा खराब है. ऐसे जिलों की पहचान कर ली गई है.

बाद में इस फार्मूले को पूरे देश में लागू किया जाएगा. इस फार्मूले में आशा कार्यकर्ता, सामाजिक संगठन, अस्पताल प्रशासन, डॉक्टर व नर्से खास भूमिका निभाएंगी. स्वास्थ्य मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय व राज्य सरकारों के कुछ विभागों को समन्वित तरीके से काम बांटा जाएगा, मगर नोडल एजेंसी के रूप में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय काम करेगा.

अभी तक किसी भी गर्भवती महिला का प्रसव होने तक उपचार तो शुरू कर दिया जाता था, मगर गर्भ का पंजीकरण नहीं होता था. इसी वजह से कन्या भ्रूण होने की स्थिति में होने वाले गर्भपात का पता नहीं लगा पाता था, मगर अब प्रत्येक गर्भपात का लेखा-जोखा रखा जाएगा.
 

 



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