महाराष्ट्र में सीट बंटवारे पर बीजेपी-शिवसेना खेल रहे चूहे-बिल्ली का खेल

Last Updated 19 Sep 2014 03:56:27 PM IST

महाराष्ट्र में सीट बंटवारे पर जहां भाजपा 135 सीट पर लड़ने पर अड़ी हुई है वहीं शिवसेना उन्हें 119 से ज्यादा सीट देने पर अब तक राजी नहीं हुई है.




(फाइल फोटो)

महाराष्ट्र भाजपा ने शुक्रवार को एक बार फिर कहा कि वह सम्मान के साथ गठबंधन चाहती है. उन्होंने कहा कि हम सहयोगी दल शिवसेना के साथ 25 साल पुराना गठबंधन बनाए रखना चाहते हैं लेकिन सम्मान के साथ.

भाजपा ने कहा कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा अहम ये नहीं है बल्कि हमारा मुख्य लक्ष्य कांग्रेस एनसीपी को सत्ता से हटाना है.

हालांकि उन्होंने यह साफ कर दिया कि उन्हें शिवसेना का फॉर्मूला मंजूर नहीं है और वह 119 सीटों पर नहीं बल्कि 135 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे.

साथ ही उन्होंने शिवसेना को सामने आकर इसका समाधान निकालने की बात कही.

इस तरह से एक बार फिर भाजपा ने गठबंधन को बचाए रखने की गेंद शिवसेना के पाले में डाल दी.

शिवसेना का फॉर्मूला मानने को तैयार नहीं बीजेपी

शिवसेना के भाजपा के अल्टीमेटम को नजरअंदाज किये जाने के बाद महाराष्ट्र भाजपा की कोर कमेटी की बैठक हुई, जिसमें सीटों के बंटवारे पर सहमति न होने की स्थिति पर विस्तार से चर्चा की गई.

उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में सीटों के बंटवारे को लेकर भाजपा और शिवसेना अपने-अपने रुख पर अड़े हुए हैं, जिसके चलते कोई सहमति नहीं बनती दिख रही.

दोनों दलों ने सीटों के बंटवारे के लिए एक दूसरे के फॉर्मूलों को खारिज कर दिया है, जिससे गठबंधन के अस्तित्व को लेकर सवाल उठ रहे हैं. सूत्रों के अनुसार दोनों ही दबाव की राजनीति के तहत एक दूसरे को तोलने मे लगे हैं.

गठबंधन के अस्तित्व को लेकर उठ रहे सवाल

दोनों दलों के भविष्य में एक साथ चलने को लेकर अटकलों का दौर जारी है.

भाजपा और शिवसेना दोनों में से किसी ने भी अभी तक गठबंधन तोड़ने की बात नहीं कही है और दोनों ही दल चाहते हैं कि राज्य में कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के लिए उन्हें मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए.

15 अक्टूबर को हैं विधानसभा चुनाव

भाजपा जहां गठबंधन को बनाए रखने की बात कह रही है वहीं शिवसेना का भी कहना है कि मिलकर चुनाव लड़ना गठबंधन के हित में है.

महाराष्ट्र में 15 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव होने हैं और नामांकन दायर करने की अंतिम तिथि 27 सितम्बर है और ऐसे में दोनों दलों पर जल्द से जल्द उम्मीदवारों के नाम घोषित करने का दबाव है.

सूत्रों के अनुसार भाजपा ने नरमी के संकेत देते हुए पहले के 135-135 सीटों के फॉर्मूले से पीछे हटते हुए 125 सीटों पर लड़ने की बात कही थी लेकिन शिव सेना उसे 119 सीट से अधिक सीट देने को तैयार नहीं है, जिससे बातचीत में गतिरोध उत्पन्न हो गया.

वर्ष 2009 के चुनाव में शिवसेना 169 और भाजपा ने 119 सीटों पर चुनाव लड़ा था.



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