चीनी राष्ट्रपति के दौरे पर दलाई लामा ने कहा, तिब्बत की समस्या भारत की भी है समस्या
तिब्बती बौद्ध गुरु दलाई लामा ने भारत में चीनी राष्ट्रपति के दौरे के मौके पर कहा कि तिब्बत समस्या भारत की समस्या है.
Dalai Lama (file photo) |
उन्होंने कहा कि लंबे समय से ठंडे बस्ते में पड़े सारे मुद्दों को हल करने की जरूरत है. साथ में यह भी जोड़ा कि इन मुद्दों को हल करने के लिए बल का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए.
चीनी राष्ट्रपति चिन फिंग के साथ दिल्ली के हैदराबाद हाउस में जिस वक्त मोदी की शिखर वार्ता चल रही थी उसी वक्त तिब्बती स्टूडेंट्स प्रदर्शन कर रहे थे. तभी दलाई लामा ने बयान दिया कि तिब्बत समस्या भारत की समस्या है.
जब चीन और भारत की शिखर वार्ता चल रही थी उसी वक्त हैदराबाद हाउस के बाहर 20 तिब्बती स्टूडेंट \'वी वॉन्ट जस्टिस\' के नारे लगा रहे थे. वहां ये स्टूडेंट्स तिब्बती ध्वज भी लहरा रहे थे.
उत्तरी सीमा पर 1950 से पहले नहीं होता था जवान
उन्होंने कहा कि 1950 से पहले उत्तरी सीमा पर एक भी सेना का जवान नहीं होता था फिर भी स्थिति शांतिपूर्ण थी. जब भी इन मुद्दों का हल निकाला जाए, रास्ता शांतिपूर्ण हो.
चीनी राष्ट्रपति तीन दिनों के भारत दौरे पर हैं. ऐसे में दलाई लामा का यह बयान मायने रखता है. भारत में दलाई लामा 1959 से रहे रहे हैं. चीन दलाई लामा को लेकर भारत पर हमेशा दबाव बनाता रहा है. इस वजह से भी भारत और चीन के रिश्तों में तनाव रहा है.
79 साल के दलाई लामा ने राष्ट्रपति चिन फिंग की यथार्थवादी और खुले दिमाग वाले व्यक्तित्व की प्रशंसा की. उन्होंने हु जिंताओ के मुकाबले चिन फिंग की यथार्थवादी पॉलिसी की तारीफ की. दलाई लामा ने कहा कि भारत और चीन के बीच भरोसे का रिश्ता बेहद अहम और जरूरी है.
नोबल प्राइज विजेता दलाई लामा आजादी मिलने तक चीन में तिब्बत की सार्थक स्वायतता का समर्थन करते हैं. वहीं चीन दलाई लामा पर अपने खिलाफ पूरी दुनिया में कैंपेन चलाने का आरोप लगाता रहा है.
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