लद्दाख के देमचोक घुसे चीनी सैनिक, वापस जाने को तैयार नहीं
लद्दाख के देमचोक में चीनी सेना का दुस्साहस बढ़ता ही जा रहा है. चीनी खानाबदोशों ने वहां जारी सिंचाई परियोजना कार्य का विरोध प्रदर्शन करने के लिए चीनी सेना की मदद से भारतीय सरजमीं पर खेमे गाड़ दिए हैं.
लद्दाख के देमचोक घुसे चीनी सैनिक |
इन चीनी असैनिकों ने तब तक भारतीय सरजमीं खाली करने से इनकार कर दिया है, जब तक कि सिंचाई नहर का निर्माण कार्य बंद नहीं होता.
लद्दाख से भाजपा सांसद थुपस्तान चेवांग ने इस कार्रवाई को चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की भारत यात्रा से पहले चीनी सेना की नीच हरकत करार दिया है.
चेवांग ने कहा कि हमें उस नहर पर काम रोकने के लिए बाध्य किया जा रहा है, जो हमारी अपनी सरजमीं के बिल्कुल अंदर बनाई जा रही है.
इस बार चीन की जनमुक्ति सेना पीछे बैठी है. चीनी खानाबदोश इस साल पांच और छह सितम्बर की मध्य रात भारतीय सरजमीं में करीब 500 मीटर अंदर घुस आए थे.
सूत्रों के मुताबिक, भारत के असैनिक भी वहां आकर डट गए हैं और चीनी ‘रेबोस’ को काम रोकने की इजाजत देने से इनकार कर दिया है. इससे इलाके में स्थिति तनावपूर्ण हो गई है.
दोनों पक्षों की सेनाएं अपने असैनिकों की रक्षा के लिए बैनर ड्रिल कर रही हैं. यह इलाका तिब्बत के कैलाश-मानसरोवर के रास्ते में पड़ता है, जिसके बारे में भारत चीनी अधिकारियों से आग्रह करता रहा है कि इस इलाके को तीर्थयात्री मार्ग के रूप में खोल दें, क्योंकि यह इलाका कठिन और जोखिम भरा नहीं है.
वहीं, निकटवर्ती चुमार इलाके में जनमुक्ति सेना ने 100 भारतीय सैनिकों के एक दल की घेरेबंदी कर दी थी और उन पर चीनी सरजमीं में प्रवेश करने का आरोप लगाया था.
बहरहाल, इलाके में कुमुक आने के बाद चीनियों को वहां से जाना पड़ा. यह मामला भी चुशुल में नियमित फ्लैग मीटिंग में उठाया गया था.
चीनियों ने पिछले साल देपसांग के मैदानी इलाके के डीबीओ क्षेत्र में भी खेमे गाड़ दिए थे और उस दौरान गतिरोध करीब तीन हफ्ते तक चलता रहा था.
भाजपा सांसद ने चीनी जनमुक्ति सेना की ताजा घुसपैठ पर आश्चर्य जताया और केन्द्र से आग्रह किया कि इस मुद्दे को चीनी राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान उनके समक्ष उठाया जाए.जानकारों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुद्दे को चीनी राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान उठाएंगे.
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