भारत-चीन मिलकर लिखेंगे मानवता का इतिहास

Last Updated 17 Sep 2014 04:29:15 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार से चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ऐतिहासिक भारत यात्रा से उम्मीद जताई कि भारत और चीन मिलकर मानवता का इतिहास लिखेंगे.


भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (फाइल फोटो)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भारत यात्रा से उम्मीद जताई और कहा कि भारत और चीन के संबंधों की ‘केमिस्ट्री (गुणधर्म) और अंकगणित’ मानवता के इतिहास का पुनर्लेखन कर सकते हैं.

मोदी ने मंगलवार को यहां चीन के पत्रकारों से बातचीत के दौरान दोनों देशों के संबंधों के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘हमारे रिश्ते साधारण गणित से बयां नहीं किए जा सकते हैं. उनका एक अनूठा गुणधर्म है जो निर्णायक मोड़ ला सकता है.’

प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों के ‘इंच से मीलों की ओर बढ़ने’ की संभावनाएं जताते हुए कहा, ‘हर इंच आगे बढ़ने पर हम मानवता के इतिहास का पुनर्लेखन कर सकते हैं और हमारा मील दर मील बढ़ना पूरी पृथ्वी को बेहतर जगह बनाने में बड़ा योगदान साबित होगा.’ उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत और चीन मिलकर कई मीलों का रास्ता पार कर सकते हैं.

उन्होंने कहा, कई मील साथ चलने पर दो देश ही आगे नहीं बढ़ते बल्कि समस्त एशिया तथा मानवता प्रगति तथा समन्वय की ओर अग्रसर होगी. दुनिया की दो सबसे बड़ी आबादी वाले दोनों देशों के संदर्भ में उन्होंने कहा कि जब भारत और चीन को कुछ लाभ होगा तो उसका मतलब विश्व की लगभग 35 फीसद आबादी का लाभान्वित होना होगा. इसी तरह जब भारत और चीन के संबंध मजबूत होंगे तो दुनिया की 35 फीसद आबादी करीब आएगी.

चीनी राष्ट्रपति शी चिनपिंग बुधवार को गुजरात से भारत की ऐतिहासिक यात्रा शुरू करने वाले किसी प्रमुख देश के पहले राष्ट्राध्यक्ष हैं.

साबरमती के तट पर होगा जिनपिंग का डिनर

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग बुधवार को यहां पहुंच रहे हैं और वह किसी प्रमुख देश के शायद पहले राष्ट्राध्यक्ष हैं जिनकी सरकारी भारत यात्रा गुजरात से शुरू हो रही है. यहां उनकी अध्यक्षता में तीन सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर होने हैं और वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ रात्रिभोज करेंगे. नई दिल्ली द्वारा शी की यात्रा को दिए जा रहे महत्व को रेखांकित करते हुए मोदी चीनी राष्ट्रपति की यहां अगवानी करेंगे.

मोदी मंगलवार को यहां पहुंचे. उन्होंने कहा कि भारत की यात्रा पर आने वाले राष्ट्राध्यक्षों को नई दिल्ली से आगे भी यात्रा करनी चाहिए और देश के छोटे शहरों को देखना चाहिए ताकि वे देश की विविधता को बेहतर तरीके से समझ सकें. अपने करीब सात घंटों के यहां के कार्यक्र म में  चीनी राष्ट्रपति मोदी के साथ उद्योग जगत के साथ एक बैठक में शामिल होंगे.

इसके अलावा उनका साबरमती आश्रम और रिवरफ्रंट जाने का भी कार्यक्रम है जहां राष्ट्रपति तथा उनके साथ आने वाले प्रतिनिधिमंडल के लिए रात्रिभोज की व्यवस्था की गई है. उद्योग जगत के साथ होने वाली बैठक में दोनों देशों के शीर्ष उद्योगपति शामिल होंगे. रात्रिभोज में सिर्फ गुजराती व्यंजन होंगे जिसमें 22 वीवीआईपी शामिल होंगे.

छायी रहेगी ‘वाइफ डिप्लोमेसी’

चीन के नए नेतृत्व का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी ‘वाइफ डिप्लोमेसी’ भारत में बुधवार को पूरे जोर पर होगी जब चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपनी गायिका पत्नी पेंग लियुआन के साथ अहमदाबाद पहुंचेंगे. पेंग चीन में एक फैशन आइकन बन चुकी हैं. 51 वर्षीय पेंग एक बड़ी लोकगायिका हैं और टेलीविजन पर अपने ओपरा प्रस्तुतियों की वजह से चीन में एक जाना पहचाना नाम हैं. पेंग अपने रंगीन परिधानों और नेताओं की पत्नियों के साथ मुलाकात की वजह से अपने पति शी के सभी विदेशी दौरों पर आकर्षण के केंद्र में रहती हैं.

पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना

दुनिया का सबसे घनी आबादी वाला देश और क्षेत्र के हिसाब से तीसरा सबसे बड़ा देश. चीन में 22 प्रांत हैं. पांच स्वायत्त क्षेत्र और चार नगर परिषदें हैं. 2/3 क्षेत्र पहाड़ और रेगिस्तान हैं. सिर्फ 1/10 क्षेत्र में खेती होती है. पूर्वी हिस्से में तीन नदियां होने की वजह से सिंचाई की व्यवस्था है.

►प्रमुख शहर : पेइचिंग, शंघाई, शेनझेन
►भाषा : चाइनीज (मंदारिन)
►धर्म : बौद्ध, ताओ, मुस्लिम, ईसाई
►शिक्षा : 96 प्रतिशत
►स्वतंत्रता : 221 ईस्वी पूर्व में चिन साम्राज्य में एकीकरण हुआ. 1 जनवरी 1912 में क्विंग साम्राज्य की जगह गणतंत्र व्यवस्था आई. 1 अक्टूबर 1949 में पीपुल्स रिपब्लिक की स्थापना हुई.
►सरकार : कम्युनिस्ट राज्य
►अर्थव्यवस्था के आधार

कृषि : चावल, चाय, तंबाकू, गन्ना, जूट, सोया, मूंगफली मुख्य फसलें हैं.
उद्योग : कपास और ऊन मिलें, लोहा, चमड़ा और इलेक्ट्रेटिक उत्पाद
खनिज : कोयला, मैगनीज, लोहा, सोना, कॉपर, लेड, जिंक, चांदी, टंगस्टन, मरकरी और पेट्रोलियम उत्पाद

पूर्वावलोकन

►भारत 1947 में स्वतंत्र हुआ. चीन ने 1949 में साम्यवादी क्रांति करके चीनी अस्तित्व को प्रकट किया. इससे पहले भी चीन-भारत में धार्मिक, सांस्कृतिक, व्यापारिक संबंध ऐतिहासिक रहे थे.
►चीन ने अक्टूबर 1962 में भारत पर आक्रमण किया जो चीन की विस्तारवादी नीति का ही प्रतीक रहा था. चीन ने इस आक्रमण के दौरान करीब 28 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर कब्जा कर लिया जिसे वह वर्तमान में भी अपने कब्जे में बनाए हुए है.

बातचीत के नियम

►सर्वप्रथम दोनों देशों के बीच असंतुलित व्यापार संबंधों को ठीक करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. सीमा के मुद्दे पर बराबरी से बात होनी चाहिए.

तनाव के बिंदु

1962 से 1988 तक संबंधों में ठहराव रहा. संबंधों में ठहराव के कारण उभरे तनाव के बिंदु :
1- मैकमोहन रेखा
2- सीमा विवाद
3- दलाईलामा का राजनीतिक शरण
4- तिब्बत की स्वायत्तता
5- पाक-चीन संबंध
6- चीन-अमेरिका संबंध
7- अरुणाचल प्रदेश
8-1962 के युद्धबंदी
9- लद्दाख क्षेत्र
10- सिक्किम

सकारात्मक पक्ष

►भारत और चीन दोनों ही आर्थिक विकास के लिए दृढ़संकल्पित होकर आगे बढ़ रहे हैं. व्यापार के क्षेत्र में अब चीन भारत का दूसरा सबसे बड़ा भागीदार बन गया है. कई भारतीय व्यापारिक प्रतिष्ठानों ने चीन में अपनी दुकानें खोल दीं हैं.

जिनपिंग की प्राथमिकता

►चीन ने अपने नए राष्ट्रपति शी जिनपिंग के पद संभालने के बाद भारत के साथ आपसी विश्वास बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर आपसी समझदारी बढ़ाने की बात कही थी. राष्ट्रपति जिनपिंग ने स्वयं कहा है कि सीमा विवाद सुलझाने के लिए बातचीत जारी रहेगी.

विश्वास की कमी

► प्राचीन सभ्यता वाले दोनों देशों के बीच कई स्तरों पर विश्वास की कमी है. परस्पर अविश्वास का सबसे बड़ा कारण दोनों देशों के बीच दशकों से चला आ रहा सीमा विवाद है.
►वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर दोनों देशों का अलग-अलग रु ख है. 2003 से सीमा मुद्दे पर दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों की 17 वार्ताएं हो चुकी हैं. फिलहाल जोर इस बात पर रहेगा कि किस तरह सीमा विवाद के बावजूद आपसी रिश्ते और खासकर व्यापारिक रिश्ते मजबूत किए जाएं.

संबंधों का पंचशील सिद्धांत

भारत-चीन संबंधों की शुरुआत अप्रैल 1954 में संपन्न हुए पंचशील सिद्धांत के आधार पर हुई थी. इस पंचशील सिद्धांतों में मुख्य बातें इस प्रकार हैं :-

1- एक-दूसरे की प्रादेशिक अखंडता और संप्रभुता बनाए रखना.
2- एक-दूसरे पर आक्रमण न करना और राष्ट्रीय सीमाओं का पालन करना.
3- एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देना.
4- पारस्परिक समानता के आधार पर व्यवहार करना.
5- शांतिपूर्ण सहअस्तित्व की भावना का पालन करना.

यथार्थ

►चीन न केवल हमारा सर्वाधिक शक्तिशाली पड़ोसी देश है, अपितु विश्व की यथार्थवादी राजनीति की दिशा और दशा निर्धारित करने में अहम भूमिका अदा कर रहा है. क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय जरूरतों को ध्यान में रख कर दोनों देशों को वर्षो से चली आ रही आपसी समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए.



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment